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Paryushana 2020: जानें, कौन है इस पर्व को मनाने का अधिकारी

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Aug, 2020 07:26 AM

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भारत में अनेकों पर्व मनाए जाते हैं जो लगभग आमोद-प्रमोद के लिए होते हैं परंतु जैन धर्म में पर्व पर्युषण तप, त्याग और अध्यात्म साधना के लिए है। यह एक आलौकिक पर्व है, लौकिक नहीं।

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Paryushana 2020: भारत में अनेकों पर्व मनाए जाते हैं जो लगभग आमोद-प्रमोद के लिए होते हैं परंतु जैन धर्म में पर्व पर्युषण तप, त्याग और अध्यात्म साधना के लिए है। यह एक आलौकिक पर्व है, लौकिक नहीं। पर्व पर्युषण औपचारिकता नहीं अपितु जीवन जांच और साधना का मार्ग है। ‘पर्युषण’ शब्द का अर्थ है आत्मा के समीप निवास करना। उसका अभिप्राय: है सांसारिकता से हट कर आध्यात्मिकता के साथ जुडऩा। जैनों के ‘कल्पसूत्र’ (जैनागम) में उल्लेख है कि स्वयं भगवान महावीर ने इस पर्व की आराधना की थी।

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पर्व पर्युषण के 7 दिनों में स्वाध्याय और विभिन्न प्रकार के अनुष्ठानों का प्रश्रय लिया जाता है। हृदय से राग द्वेष और परस्पर वैर विरोध को दूर करना आवश्यक है। राग-द्वेष और ईर्ष्या आदि के रहते बाह्य अनुष्ठानों का कोई प्रयोजन नहीं रह जाता। हममें यदि कोई त्रुटि हो जाती है तो उसके लिए प्रायश्चित कर लेना चाहिए। हम में पुरुष का एक अहं है। हम चाहते हैं कि पहले दूसरा पुरुष हमसे क्षमा याचना करे फिर हम भी देख लेंगे। यही अहं मनुष्य को इस पर्व की चेतना से दूर ले जाता है। शास्त्रकारों ने भगवान को वैद्य के समान, श्रावक को रोगी के समान, जीवन की त्रुटियों को रोगों के समान और क्षमा याचना को औषधि के समान माना है। वास्तव में क्षमा याचना ही इस महापर्व की औषधि है।

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इन 7 दिनों में प्राय: श्रावक श्राविकाएं व्रत उपवास आदि रखते हैं। भगवान महावीर ने कहा था कि तप करना अच्छा है परंतु यदि हम स्वयं का चिंतन करें और सहिष्णुता तथा आत्म मंथन करेंं तो यह पर्व हमारे जीवन में आनंद की प्रभात लेकर आएगा। जो व्यक्ति इन गुणों को जीवन में स्थान देता है वही इस पर्व को मनाने का अधिकारी है और उसी का जीवन कृत्य-कृत्य हो जाएगा।

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