Edited By Jyoti,Updated: 09 Jul, 2022 09:38 AM
श्रावण का मास शुरु होने वाला है, हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार श्रावण मास 16 जुलाई को आरंभ होगा। जिसके साथ ही देश के विभिन्न जगहों पर भोलेबाबा के जयकारों की गूंज सुनाई देनी
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श्रावण का मास शुरु होने वाला है, हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार श्रावण मास 16 जुलाई को आरंभ होगा। जिसके साथ ही देश के विभिन्न जगहों पर भोलेबाबा के जयकारों की गूंज सुनाई देनी शुरु हो जाती है। तो वहीं इसी बीच भोलेनाथ के भक्त देश आदि में स्थित उनके विभिन्न मंदिरों में जाकर उनकी पूजा अर्चना करते हैं उनका आशीर्वाद पाते हैं। तो श्रावण मास के मद्दनेजर आज हम आपको शिव जी के ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे पातालेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाता है।
बताया जाता है ये मंदिर अपने आप में अनेकों राज़ समेटे हुए हैं, जिनसे आजतक किसी ने पर्दा नहीं उठाया। ऐसा लोक मत है कि हज़ारों वर्ष पूर्व यहां भगवान शंकर का स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हुआ था। जिसे उस समय के शासक कटवा कर खंडित कर देते थे। मगर अगले ही पल फिर से उसी स्थान पर एक नया शिवलिंग प्रकट हो जाता था। जिनके दर्शन कर शासक के अधिकारी नत्मस्तक होकर वापस लौटने के लिए मजबूर हो जाते थे। आपको बता दें कि मंदिर प्रांगण में स्थापित शिवलिंग के कटे हुए भाग आज भी उस किस्से की याद दिला देते हैं।
हरियाणा के अंतिम छोर पर स्थित इस मंदिर को लेकर लोगों में अधिक मान्यता है। इसलिए दूर-दूर से लोग यहां महादेव के इस अद्भुत चमत्कार के लिए दर्शन करने आते हैं।
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शिवलिंग के प्रकट होने की तारीख या समय को लेकर किसी के पास ठीक से कोई पुख्ता जानकारी नहीं है। मगर इतना सब जानते है कि भले ब्रिटिश साम्राज्य हो या फिर मुग़ल सल्तनत। हर युग में श्री पातालेश्वर महादेव इसी तरह शिव भक्तों को दर्शन देते आएं है। यहां शिवलिंग जमीन के स्तर से काफी नीचे विराजमान है। मंदिर प्रांगण में एक प्राचीन और ऐतिहासिक शिव बावड़ी भी है।
जो पताल लोक से होते हुए कहां तक जा रही है इस बात का खुलासा आज तक कोई नहीं कर पाया। भले कितना भी सूखा क्यों न पड़ जाए मगर यहां पानी कभी नहीं सूखता।
कहा जाता है कि श्री निरंजन देव तीर्थ जी ने कुछ दिनों तक तप किया था। जिसके बाद उन्होंने इस मंदिर को एक सिद्ध पीठ बताया, और इतिहास के कई सुनहरे पन्नों को खंगालते हुए इस स्थान से जुड़े कई रहस्यों को दुनिया के सामने उजागर किया था।
मंदिर में पूजा अर्चना करने आने वाले श्रद्धालुओं ने बताया कि वह पिछली कई पीढ़ियों से इस मंदिर में श्री पातालेश्वर महादेव जी के दर्शन करने व जलाभिषेक करने आ रहे हैं। यहां आकर उन्हें मन की शांति तो मिलती ही है, उनकी सारी मनोकामनाएं भी पूरी होते हैं।