Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Dec, 2024 02:00 PM
Paush Month Upay 2024: पौष माह में सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस महीने को सूर्य उपासना का प्रमुख पर्व माना जाता है और भक्त विशेष रूप से सूर्योदय के समय नदी या तट पर जाकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं।
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Paush Month Upay 2024: पौष माह में सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। इस महीने को सूर्य उपासना का प्रमुख पर्व माना जाता है और भक्त विशेष रूप से सूर्योदय के समय नदी या तट पर जाकर सूर्य को अर्घ्य देते हैं। अर्घ्य देने से शरीर, मन और आत्मा की शुद्धि होती है, साथ ही यह पुण्य की प्राप्ति का मार्ग भी खोलता है। सूर्य देव को जीवन का स्रोत माना जाता है और अर्घ्य देकर उनके प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। सूर्य की उपासना से समृद्धि, सुख-शांति और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इसके अतिरिक्त, यह आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है, जिससे व्यक्ति की मानसिक स्थिति मजबूत होती है।
सोमवार दिनांक 16.12.25 को ज्योतिष शास्त्र के पुर्णिमांत पंचांग प्रणाली के अनुसार पौष माह प्रारंभ होगा। विक्रम संवत व हिंदू पंचांग के अनुसार साल के दसवें महीने को पौष माह कहा जाता है। पौष मास में सूर्य की उपासना का विशेष महत्व माना जाता है। इस मास में सूर्य देव की उपासना भग नाम से की जाती है। हेमंत ऋतु के इस मास में ठंड बहुत अधिक होती है। मान्यतानुसार पौष माह में सूर्यदेव ग्यारह हजार रश्मियों के साथ तपकर सर्दी से राहत देते हैं। शास्त्रों में ऐश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान व वैराग्य को ही भग कहा गया है। इसी कारण पौष मास के भग स्वरूप सूर्य को परब्रह्म माना गया है।
पौष मास में सूर्य को अर्घ्य देने का विशेष महत्व धर्मशास्त्रों में उल्लेखित है। आदित्य पुराण अनुसार पौष माह में तांबे के बर्तन में शुद्ध जल, लाल चंदन व लाल रंग के फूल डालकर सूर्य को अर्घ्य देकर सूर्य मंत्र का जाप किया जाता है तथा व्रत रखकर सूर्य को तिल-चावल की खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। पौष मास में सूर्य के विशेष व्रत, पूजन व उपाय से यश बढ़ता है, ज्ञान में वृद्धि होती है व तरक्की मिलती है।
Surya Puja Mantra in Pausha Month पौष मास में सूर्य पूजा मंत्र: ॐ घृणि: आदित्य सूर्याय नमः॥
Surya remedies in Pausha month पौष मास में सूर्य उपाय
ज्ञान वृद्धि हेतु सूर्यदेव पर लाल गुड़हल के 10 फूल चढ़ाएं।
यश वृद्धि हेतु कर्पूर से केसर जलाकर सूर्यदेव पर धूप करें।
तरक्की हेतु लाल चंदन व पानी भरे तांबे के लोटे से सूर्य को अर्घ्य दें।