Edited By Niyati Bhandari,Updated: 06 Aug, 2024 12:11 PM
वृक्ष हमारी संस्कृति के संरक्षक माने जाते हैं। वृक्षों, वनों, पौधों और पत्तों तक को देव तुल्य मानकर उनकी पूजा की जाती है। देवालयों के परिसर में स्थित वृक्षों को भी देवता मानकर पूजा जाता है
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वृक्ष हमारी संस्कृति के संरक्षक माने जाते हैं। वृक्षों, वनों, पौधों और पत्तों तक को देव तुल्य मानकर उनकी पूजा की जाती है। देवालयों के परिसर में स्थित वृक्षों को भी देवता मानकर पूजा जाता है। कई वृक्षों को तो सीधे महत्वपूर्ण देवता मानकर उनकी पूजा होती है जैसे- पीपल, वट (बड़ या बरगद), अशोक, आम, तुलसी, कदम्ब, बेल (बिल्व), पलाश, आक, केला, आंवला, हरसिंगार, कमल, कैथ, इमली, अनार, गुग्गल, गुलाब, नीम, बहेड़ा, हरैय, करंज, जामुन आदि। इनमें औषधीय गुणों के साथ-साथ पर्यावरण को भी स्वच्छ व ठीक रखने की अपार क्षमता है। ये अनेक प्रकार के दोषों का भी निवारण करते हैं। मनुष्य के दैनिक जीवन में इनकी अत्यधिक उपयोगिता भी है।
पीपल, बरगद को ब्रह्म स्वरूप ब्राह्मण माना जाता रहा है। उन्हें काटना ब्रह्म हत्या के समान माना जाता है। जिन वृक्षों पर पक्षियों के घोंसले हों तथा देवालय और श्मशान की भूमि पर लगे वृक्ष जैसे बड़, पीपल, बहेड़ा, हरड़, नीम, पलाश आदि को काटना शास्त्रानुकूल नहीं है। महुआ वृक्ष को काटना पाप का भागी बनना है। बहुत आवश्यक हो तब इन वृक्षों व इससे आधारित जीव-जंतुओं से क्षमा प्रार्थना कर अनुमति मानकर काटें परन्तु तब दूसरे स्थान पर उस वृक्ष को लगाने की व्यवस्था करें। पर्यावरण को स्वच्छ बनाए रखने के लिए सुख-समृद्धि प्राप्ति हेतु व व्याधियों से मुक्ति हेतु वृक्षारोपण करना आवश्यक है।
आधुनिक युग में घर के बाग-बगीचों में अब फूल, पौधों के गमलों के अलावा भी देखने को बहुत कुछ मिलता है। आजकल लोग अपने इस शौक पर हजारों भी खर्च करने लगे हैं। हमारे जीवन में पेड़-पौधों की अहम भूमिका है। पेड़-पौधे हमारे संस्कार से लेकर संस्कृति तक में शामिल हैं। कोई पेड़-पौधा औषधीय गुण रखता है, तो कोई आध्यात्मिक महत्व। वास्तु शास्त्र में भी पेड़-पौधों का खूब महत्व है। पेड़-पौधों में एक ऐसा पौधा है जिससे आप अपने घर को सुखी व समृद्धशाली बना सकते हैं।
Peach plant पिच का पौधा : इसका इस्तेमाल अधिकतर पेंटिंग्स में किया जाता है। इसके फल को परियों का प्यारा फल कहा जाता है। इसकी लकड़ी को काफी शुभ माना जाता है। इससे बना हुआ पैंडेट गले में पहनने से अनेक बीमारियां और परेशानियां दूर हो जाती हैं।
फेंगशुई विशेषज्ञों के अनुसार कुंवारी लड़कियों को इसके प्रभाव से सुंदर जीवन साथी मिलता है। सुहागिनों का प्रेम अमर रहता है। साथ ही स्त्रीजन्य अनेक बीमारियां दूर हो जाती हैं। युवकों का पढ़ाई में मन लगता है तथा शिक्षा संबंधी अनेक बाधाएं स्वत: ही दूर होने लगती हैं।