Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Dec, 2024 05:29 PM
Shani Piplad story: भारतीय ज्योतिष शास्त्र में शनि की गणना सर्वाधिक प्रभावशाली ग्रहों के रूप में की गई है। यह जितना अनिष्ट फल प्रदायक है उतना ही उत्कृष्ट और अभीष्ट फलदायक भी है। शनिदेव का नाम सुनते ही संसार का प्रत्येक व्यक्ति डर जाता है लेकिन शनि...
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Shani Piplad story: भारतीय ज्योतिष शास्त्र में शनि की गणना सर्वाधिक प्रभावशाली ग्रहों के रूप में की गई है। यह जितना अनिष्ट फल प्रदायक है उतना ही उत्कृष्ट और अभीष्ट फलदायक भी है। शनिदेव का नाम सुनते ही संसार का प्रत्येक व्यक्ति डर जाता है लेकिन शनि भक्ति बड़ी संकटमोचक होती है। खासतौर पर उन लोगों के लिए जो शनि ढैय्या, साढ़े साती, महादशा या कुण्डली में बने शनि के बुरे असर दु:ख, दारिद्र, कष्ट, संताप, संकट से जूझ रहे हों। शनि का शुभ प्रभाव अध्यात्म, राजनीति और कानून संबंधी विषयों में दक्ष बनाता है। आईए जानें संसार डरता है शनिदेव से लेकिन वो डरते हैं इनसे...
शास्त्रों पर गौर करें तो शनिदेव का चरित्र मात्र क्रूर या पीड़ादायी ही नहीं, बल्कि मुकद्दर संवारने वाले देवता के रूप में भी प्रकट होता है। शनिदेव कर्म व फल के स्वामी हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों में शनिदेव को न्यायाधीश कहा गया है अर्थात अच्छे कर्म करने वाले को अच्छा तथा बुरे कर्म करने वाले को इसका दंड देने के लिए शनिदेव सदैव तत्पर रहते हैं।
पुराणोक्त महादेव शिवशंकर ने अपने परम भक्त ऋषि दधीचि के घर ऋषि पिप्पलाद बनकर जन्म लिया। पिप्पलाद के जन्म से पूर्व इनके पिता ऋषि दधीचि की मृत्यु हो गई। युवावस्था में पिप्पलाद ने देवगणों से ऋषि दधीचि की मृत्यु का कारण पूछा तो देवगणों ने शनि की कुदृष्टि को इसका कारण बताया।
ऋषि पिप्पलाद यह सुनकर बड़े क्रोधित हुए और उन्होंने शनि पर ब्रह्मदंड का प्रहार कर दिया। ब्रह्मदंड ने शनिदेव के पैर पर प्रहार किया। शनिदेव ब्रह्मदंड का प्रहार सहन नही कर पाएं। पिप्पलाद की क्रोध भरी मारक दृष्टि के प्रकोप के कारण शनिदेव आकाश से सीधा नीचे जमीन पर आ गिरे और उनका एक पैर टूट गया और वो अपाहिज हो गए। उसी समय ब्रह्मदेव ने ऋषि पिप्पलाद को शांत कर शनिदेव कि रक्षा की।
ब्रह्मदेव ने रुद्रावतार पिप्पलाद को आशीर्वाद दिया कि जो भी भक्त पिप्पलाद अर्थात पीपल की पूजा अर्चना करेगा उसे शनि के कष्टों से मुक्ति मिलेगी तथा शनिदेव शिवभक्तों को कभी कष्ट नहीं देंगे। यदि शनिदेव शिवभक्तों को कभी कष्ट देंगे तो शनिदेव स्वयं भस्म हो जाएंगे।
पिप्पलाद मुनि द्वारा किए गए स्त्रोत का जप 11 बार करने से उन लोगों पर जो न शनि की साढ़ेसाती और न ही उनकी ढैया के प्रभाव में होते हैं कोई विशेष संकट नहीं आते?
Pippalada Shani Stotram पिप्पलाद स्त्रोत
नमस्ते कोणसंस्थय पिंगलाय नमोस्तुते।
नमस्ते बभ्रूरूपाय कृष्णाय च नमोस्तु ते॥
नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चान्तकाय च।
नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो॥
नमस्ते यंमदसंज्ञाय शनैश्वर नमोस्तुते।
प्रसादं कुरु देवेश दीनस्य प्रणतस्य च॥