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Pitra Dosh: कैसे लगता है पितृदोष, ऐसे करें उपाय

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Sep, 2021 10:49 AM

pitra dosh

जब तक प्रत्येक वस्तु, प्रत्येक प्राणी एक सीमा में, एक मर्यादा में है, अनुशासन में है तब तक ही वह सबके लिए उत्तम है। यह बात हमारे घर-परिवार में धार्मिक संस्कारों पर भी लागू होती है। घर-परिवार के

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Pitra Dosh Kundli Dosh Remedies and Curse: जब तक प्रत्येक वस्तु, प्रत्येक प्राणी एक सीमा में, एक मर्यादा में है, अनुशासन में है तब तक ही वह सबके लिए उत्तम है। यह बात हमारे घर-परिवार में धार्मिक संस्कारों पर भी लागू होती है। घर-परिवार के सदस्य सीमाओं का उल्लंघन करें, मर्यादा को ताक में रख दें तो क्या होगा, इस कारण परिवार के प्रत्येक सदस्य को कष्ट उठाना ही पड़ेगा। घर-परिवार का अनुशासन टूटेगा, मर्यादा भंग होगी तो इसका प्रभाव आसपास के घरों में, मोहल्ले में और समाज पर भी निश्चित रूप से पड़ेगा। इसी प्रकार परिवार के मुखिया द्वारा जो सद्कर्म एवं दुष्कर्म किए जाते हैं उनका फल उसके बाद उसके पारिवारिक सदस्यों, विशेषकर संतान को भुगतना पड़ता है। यह फल अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी, जो उस परिवार के मुखिया के किए गए कर्मों पर निर्भर करता है। यदि परिवार के मुखिया ने अच्छे कर्म किए हैं तो निश्चित रूप से वह अपने परिवार को सम्पन्नता एवं प्रसन्नता दे पाएगा। यदि उसने अनैतिक कर्म एवं दुराचार ही किए हैं तो वह अपने परिवार को अपमान एवं घृणा के अतिरिक्त और क्या दे सकता है।

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What causes Pitru Dosha: इस प्रकार के दुष्परिणाम ज्योतिष शास्त्र में पितृदोष के नाम से जाने जाते हैं। पितृदोष किसी पूर्वज द्वारा मर्यादा भंग करने से होते हैं। इनके कारण जातक आर्थिक संकट, विभिन्न कार्यों में बाधा, विवाह आदि में रुकावटें, पारिवारिक झगड़े, अपमान, अपयश, दोषारोपण, पारिवारिक सदस्यों का बार-बार बीमार होना, आय न होना, व्यापार-व्यवसाय में घाटा, नौकरी आदि में बार-बार परेशानी आना आदि दोष उत्पन्न होते हैं। पितृदोष के कारण घर के सदस्यों को स्वप्न में सर्प भी दिखाई दे सकते हैं।

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Pitra Dosh Upay उपाय
पितरों के लिए घर में एक स्थान बनाएं तथा प्रत्येक शुभ कार्य के समय उन्हें याद करें। उन्हें भोग लगाएं एवं दीपक जलाएं। प्रत्येक त्यौहार पर ऐसा अवश्य करें।

पितरों की शांति, जिसे पिंडदान भी कहते हैं, करवाएं।

श्राद्ध पक्ष में पितरों को जल तर्पण एवं गंगा किनारे पितरों की शांति व हवन यज्ञ करवाएं।

श्राद्ध पक्ष में ‘पितृ मोक्ष अमावस्या’ के दिन विद्वान ब्राह्मण से पितृदोष शांति कराएं। इस दिन व्रत धारण करें व जरूरतमंदों को भोजन, हवन, यज्ञ आदि करवाएं।

प्रत्येक अमावस्या को भगवान श्री सत्यनारायण की कथा कराएं व व्रत करें।

अमावस्या को कच्चा दूध मंदिर में चढ़ाएं या जरूरतमंदों को दान दें।

प्रात: सूर्य नमस्कार अवश्य करें व अर्घ्य दें।

बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना न भूलें।

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