Pitra Dosh: गरुड़ पुराण में लिखा है पितृदोष का रहस्य ? जानें, कितनी पीढ़ियों तक चलता है पितृदोष

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Sep, 2024 09:35 AM

जिस भी घर में पितृदोष पैदा होता है वहां परेशानियों का कहर टूट पड़ता है। अचानक काम रुक जाते हैं। वंश की वृद्धि रूक जाती है और किसी जानकर से पता लगता है कि ये पितृदोष की वजह से है।

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Pitra Dosh 2024: जिस भी घर में पितृदोष पैदा होता है वहां परेशानियों का कहर टूट पड़ता है। अचानक काम रुक जाते हैं। वंश की वृद्धि रूक जाती है और किसी जानकर से पता लगता है कि ये पितृदोष की वजह से है। ऐसे में कई लोगों को तो समझ ही नहीं आता कि पितृदोष आया कहां से क्योंकि उन्होंने कभी पितरों का अनादर नहीं किया होता। पितृदोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता है इसलिए पितरों को प्रसन्न करने के लिए और पितृदोष से मुक्ति के लिए परिजनों को उनका श्राद्ध और तर्पण ज़रूर करना चाहिए। पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध कर्म करने से पितरों के लिए मुक्ति के द्वार खुलते हैं। गरुड़ पुराण में पितृदोष के कारण और इससे होने वालीं समस्याओं के बारे में बताया गया है। गरुड़ पुराण में इसका उल्लेख किया गया है कि पितृदोष केवल कुछ वर्षों तक नहीं बल्कि कई पीढ़ियों तक चलता है। आज हम आपको बताएंगे गुरुड़ पुराण में लिखी पितृदोष से जुड़ी खास बातें तो आईए जानते हैं...

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Pitra Dosh symptoms: गरुड़ पुराण में बताया गया है कि अगर कोई व्यक्ति पितृदोष से पीड़ित होता है तो उसका प्रभाव केवल उसी व्यक्ति पर नहीं पड़ता बल्कि उसके साथ रहने वाले लोगों पर भी पड़ता है। घर के मुखिया पर लगा पितृदोष से बाकी सदस्य भी किसी न किसी समस्या से घिरे रहते हैं। पितृदोष का निवारण न किया जाए तो पितृदोष 7 पीढ़ियों तक चलता है। पितृदोष पीढ़ी दर पीढ़ी चलता रहता है। पितृदोष सात पीढ़ियों तक चलता है, तो इससे वंश को आगे बढ़ाने में परेशानियां आती हैं। इसके साथ ही पितृदोष लगे घर में बार-बार संतानों की आकस्मिक मृत्यु भी होती रहती है।

Pitra Dosh kaisa banta ha: कभी-कभी घर में किसी सदस्य की अचानक मृत्यु हो जाती है और अगर उसका अंतिम संस्कार या तर्पण सही तरीके से नहीं किया जाता, तो उसकी आत्मा भटकती रहती है। इससे मृत व्यक्ति को भी परलोक में दुख मिलता है। उसकी नाराजगी और दुख के कारण परिवार वालों को खासकर घर के मुखिया को पितृदोष का सामना करना पड़ता है।

Pitra Dosh symptoms: ज्योतिष शास्त्र में पितृदोष का कारण जन्म कुंडली से भी जुड़ा हुआ है। किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में दूसरे, आठवें या दसवें भाव में सूर्य के साथ केतु हो तो उसे पितृदोष लगता है। वहीं गरुड़ पुराण में अगर घर के मुखिया ने किसी जीव-जंतु, सांप या फिर किसी असहाय मनुष्य की हत्या या उस पर अत्याचार किया हो तो भी पितृदोष लगता है।

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Pitra Dosh Effects: घर के मुखिया पर पितृदोष लगने पर वे ज्यादातर समय, क्रोध, निराशा और अवसाद से घिरा रहता है। वंश आगे बढ़ाने में समस्याएं आती हैं। घर में बार-बार हादसे होते रहते हैं। बहुत कोशिशों के बाद भी संतान को सफलता नहीं मिल पाती है।

Pitra Dosh ke Upay: गरुड़ पुराण में बताया गया है कि पितृपक्ष में अपने पितरों का तर्पण और श्राद्ध करना पितृदोष से मुक्ति का सबसे अच्छा उपाय है। वहीं, प्रत्येक अमावस्या पर गरीब, ब्राह्मणों और जरुरमंदों को अन्न दान करना और भोजन कराना भी पितृदोष से मुक्ति का उपाय है। पितृपक्ष में पितरों का आह्वान करते हुए गाय, कुत्ता, कौआ आदि जीव-जंतु को रोटी खिलाने से भी पितृदोष दूर होते हैं। इसके अलावा पितृपक्ष में दक्षिण में सुबह जल अर्पित करने और शाम को दीपक जलाने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है।

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