Edited By Jyoti,Updated: 17 Sep, 2020 11:11 AM
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म दिन पर बनी उनकी वर्ष फल कुंडली तुला लग्न की निकली है, इस लग्न के स्वामी शुक्र हैं,
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म दिन पर बनी उनकी वर्ष फल कुंडली तुला लग्न की निकली है, इस लग्न के स्वामी शुक्र हैं, जो केंद्र में दशम भाव में ही स्थित है। जबकि शनि चौथे और मंगल सातवें भाव में विराजमान हैं, लग्न के स्वामी शुक्र का केंद्र में दशम भाव में आ जाना हालांकि अच्छा है। ज्योतिष की दृष्टिकोण से यह उनके इस वर्ष में अधिक कर्मशील होने की तरफ़ इशारा करता है लेकिन लग्न के स्वामी के ऊपर शनि और मंगल दोनों पापी ग्रहों की दृष्टि उनके लिए स्वास्थ्य के लिहाज से ठीक नहीं है।
Pm Modi की लग्न कुंडली में भी 23 सितंबर के बाद से केतु का गोचर शुरू होगा। लिहाजा इस गोचर के चलते भी उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से परेशानी हो सकती है, यानि उन्हें स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहना होगा। हालांकि उनकी कुंडली में अगले साल 30 नवंबर तक चन्द्रमा की दशा चल रही है, जिसके परिणाम स्वरूप उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आएगी। इसके बाद भी उनकी कुंडली में लग्न के मालिक मंगल की दशा शुरू होगी और मंगल उनकी कुंडली में काफ़ी मज़बूत स्थिति में है। लिहाजा लंबी अवधि में उनके लिए सियासी रूप से कोई बड़ा खतरा नहीं है।
इनकी कुंडली के अनुसार नरेंद्र मोदी के सामान्य परिवार में पैदा होकर प्रधान मंत्री पद तक पहुंचने के पीछे उनकी कुंडली में बने सितारों का ही योग और हाथ हैं। उनकी कुंडली में लग्न का मालिक मंगल काफ़ी मज़बूत स्थिति में है और लग्न में चन्द्रमा के साथ मिल कर लक्ष्मी योग का निर्माण कर रहा है जबकि सत्ता का कारक ग्रह सूर्य भी कुंडली के ग्याहरवें भाव में हैं, इसी भाव से जीवन में उन्नति देखी जाती है और इस भाव में उच्च राशि के बुध का भी आ जाना उन्हें बुलंदियों पर पहुंचा रहा है।
पी एम की कुंडली में 6 बड़े योग-
राज योग- केंद्र में चंद्र और मंगल की युति से बनता है।
गज केसरी योग- बृहस्पति चन्द्रमा से चौथे घर में होने से बनता है।
रूचक महापुरुष योग- मंगल केंद्र में अपनी राशि में होने से बनता है।
पर्वत योग- अच्छे ग्रह केंद्र में और छठे और आठवें भाव में कोई गृह न होने से बनता है।
नीच भंग राज योग- नीच का चन्द्रमा अपनी राशि के मंगल के साथ केंद्र में होने से बनता है
कर्मजीवा योग- बुध के दसवें भाव के स्वामी के साथ होने से बनता है।