Edited By Prachi Sharma,Updated: 03 Jan, 2025 10:57 AM
हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत को बेहद ही खास माना जाता है। यह व्रत हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है, जो भगवान शिव और मां पार्वती के पूजन का एक विशेष अवसर माना जाता है
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Pradosh Vrat 2025: हिन्दू धर्म में प्रदोष व्रत को बेहद ही खास माना जाता है। यह व्रत हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है, जो भगवान शिव और मां पार्वती के पूजन का एक विशेष अवसर माना जाता है। प्रदोष काल के समय इस व्रत का पूजन किया जाता है। प्रदोष व्रत को विशेष रूप से भूत-प्रेत और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति के लिए किया जाता है। यह व्रत मानसिक शांति और सुरक्षा प्रदान करता है। इस व्रत को करने से शारीरिक और मानसिक दोनों प्रकार की बीमारियों से छुटकारा मिलता है। यह व्रत भगवान शिव से स्वास्थ्य की रक्षा और रोगों से मुक्ति का वरदान प्राप्त करने का एक माध्यम है। तो चलिए जानते हैं साल 2025 में पहला प्रदोष व्रत कब रखा जाएगा।
साल 2025 का पहला प्रदोष व्रत
पंचांग के अनुसार इस बार साल का पहला प्रदोष 11 जनवरी को 2025 को सुबह 8 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगा और 12 जनवरी को सुबह 6 बजकर 33 मिनट पर इसका समापन होगा। इस बार प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ने के कारण यह शनि प्रदोष व्रत कहलाएगा।
पूजा मुहूर्त- 5 बजकर 43 मिनट से लेकर 8 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।
प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत का महत्व अत्यधिक है क्योंकि यह भगवान शिव के विशेष आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक प्रमुख साधन माना जाता है। हिन्दू धर्म में भगवान शिव को त्रिदेवों में प्रमुख देवता माना गया है, वे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं, उन्हें मानसिक शांति प्रदान करते हैं और साथ ही भूत-प्रेत, ग्रह-नक्षत्रों की बाधाओं से मुक्ति दिलाने में मदद करते हैं।
प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष व्रत की पूजा शुरू करने से पहले पवित्र स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। शरीर और मन की शुद्धि के लिए यह महत्वपूर्ण होता है।
पूजा के लिए एक स्वच्छ स्थान चुनें, जहां आपको आराम से पूजा करने का स्थान मिल सके। वहां एक चित्र या मूर्ति में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें।
सबसे पहले, भगवान गणेश की पूजा करें ताकि पूजा में किसी भी तरह की विघ्न-बाधा न आए। इसके बाद, शिवलिंग या भगवान शिव की पूजा करें। शिव जी का अभिषेक शुद्ध जल, दूध, शहद, घी, और बेलपत्र से करें। इस दौरान, "ऊँ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
भगवान शिव के साथ ही, माता पार्वती की पूजा भी करें। उन्हें सफेद या लाल फूल अर्पित करें। ॐ गं गणपतये नमः और ॐ नमः पार्वत्यै का जाप करें।
पूजा के बाद भगवान शिव की आरती और भजन गाएं। विशेष रूप से शिव तांडव स्तोत्र और जय शिव ओंकारा का गान शुभ माना जाता है।
पूजा-पाठ के दौरान प्रदोष व्रत की कथा का पाठ अवश्य करें।