Edited By Prachi Sharma,Updated: 04 Jan, 2025 07:29 AM
11 जनवरी को साल का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा। प्रदोष व्रत हिन्दू धर्म में अत्यन्त महत्वपूर्ण व्रतों में से एक माना जाता है, जो प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Pradosh Vrat 2025: 11 जनवरी को साल का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा। प्रदोष व्रत हिन्दू धर्म में अत्यन्त महत्वपूर्ण व्रतों में से एक माना जाता है, जो प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। प्रदोष व्रत का पालन करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और भगवान शिव की कृपा से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। जनवरी माह के पहले प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है क्योंकि यह नए साल के पहले प्रदोष व्रत के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का व्रत और पूजा न केवल शारीरिक और मानसिक शांति का कारण बनती है बल्कि यह व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करती है। इस दिन किया गया व्रत विशेष फलदायी होता है और भगवान शिव की कृपा से समस्त कष्टों का निवारण होता है।
What to do on Pradosh Vrat day प्रदोष व्रत के दिन क्या करें:
प्रदोष व्रत की शुरुआत शुद्धता से होती है। व्रति को इस दिन प्रातः काल उबटन और स्नान करना चाहिए। स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनने चाहिए, जिससे शरीर और मन दोनों को शुद्ध किया जा सके। स्नान से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और पूजा में विशेष फल की प्राप्ति होती है।
प्रदोष व्रत का पालन करने से पहले व्रति को संकल्प लेना चाहिए कि वह पूरे दिन उपवास रखेगा और भगवान शिव की पूजा करेगा। संकल्प लेने के बाद यह ध्यान रखना जरूरी है कि व्रत के दौरान कोई भी नकारात्मक कार्य न करें।
इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा करना चाहिए। पूजा में शुद्ध जल, बेल पत्र, दूध, शहद, घी, सफेद फूल, फल और अगरबत्ती का उपयोग करना चाहिए। पूजा में भगवान शिव के पंचाक्षरी मंत्र "ॐ नमः शिवाय" का जाप करें। इसके अलावा शिव महिम्न स्तोत्र, शिव स्तुति, रुद्राक्ष से मंत्र जाप और शिव पञ्चाक्षरी मंत्र का उच्चारण करना बहुत शुभ माना जाता है।
इस दिन शिवलिंग को शुद्ध जल और दूध से स्नान कराएं। बेल पत्रों पर ॐ नमः शिवाय लिखकर अर्पित करें। साथ ही, गंगाजल से अभिषेक करें और शुद्ध आचरण बनाए रखें।
प्रदोष व्रत के दिन ध्यान और साधना का विशेष महत्व है। व्रति को इस दिन मानसिक शांति और ध्यान में लीन होना चाहिए। ध्यान करने से मन की एकाग्रता और मानसिक स्थिति में सुधार होता है, जिससे जीवन में स्थिरता आती है।
प्रदोष व्रत के दिन ब्राह्मणों को भोजन कराना अत्यंत शुभ माना जाता है। साथ ही, गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना भी पुण्यकारी होता है। इससे व्यक्ति के जीवन में शुभ लाभ होता है और भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
प्रदोष व्रत की पूजा मुख्य रूप से दिन के अंत में संध्याकाल में की जाती है। रात्रि के समय भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस दौरान दीपक जलाकर भगवान शिव का पूजन करें और ॐ नमः शिवाय का जाप करें।
प्रदोष व्रत के दिन मन, वचन और क्रिया से पवित्रता बनाए रखें। किसी भी प्रकार की ग़लत वाणी का प्रयोग न करें। गाली-गलौज, बुरा बोलना और नकारात्मक सोच को छोड़ दें।
What not to do on Pradosh Vrat day प्रदोष व्रत के दिन क्या न करें:
प्रदोष व्रत के दिन मांसाहार और मदिरापान से बचना चाहिए। यह व्रत के उद्देश्य के खिलाफ है और इसके द्वारा पुण्य की प्राप्ति नहीं हो सकती।
प्रदोष व्रत के दिन किसी से भी विवाद या झगड़ा नहीं करना चाहिए। व्रत के दौरान आपको मानसिक और शारीरिक शांति बनाए रखने की आवश्यकता होती है।
रात्रि को सोते समय अधिक निद्रा या आलस्य से बचें। व्रत के दौरान इस समय का सही उपयोग ध्यान और पूजा में करना चाहिए।
प्रदोष व्रत के दिन नकारात्मक विचारों से दूर रहना चाहिए। निराशा, भय, ईर्ष्या और घृणा जैसी भावनाओं से बचना जरूरी है। केवल सकारात्मक सोच को बढ़ावा दें और भगवान शिव की भक्ति में मन लगाएं।
प्रदोष व्रत के दिन अशुद्ध वस्त्र पहनने से बचें। हमेशा स्वच्छ और पवित्र वस्त्र पहनें। पूजा के समय वस्त्रों का पवित्र होना आवश्यक होता है।