Edited By Prachi Sharma,Updated: 10 Mar, 2025 08:55 AM

प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है, जिसे विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए किया जाता है। यह व्रत प्रत्येक माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।
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Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है, जिसे विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए किया जाता है। यह व्रत प्रत्येक माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। प्रदोष व्रत का महत्व अत्यधिक है क्योंकि यह व्यक्ति की समृद्धि, स्वास्थ्य, और आत्मिक शांति में वृद्धि करता है। इस व्रत के दौरान महादेव की उपासना करने से सभी प्रकार के पाप समाप्त होते हैं और जीवन में सुख-शांति का वास होता है। प्रदोष व्रत के दिन भक्त विशेष रूप से शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं, बेलपत्र अर्पित करते हैं और दीपक जलाकर भगवान शिव की आराधना करते हैं। इस व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और यह व्रत हर भक्त को मानसिक शांति, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। तो चलिए जानते हैं कब रखा जाएगा प्रदोष का व्रत-
March Pradosh Vrat Date and Muhurat मार्च प्रदोष व्रत डेट और मुहूर्त 2025
हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 11 मार्च को सुबह 8 बजकर 13 मिनट पर होगा और अगले दिन 12 मार्च को सुबह 09 बजकर 11 मिनट पर इसका समापन होगा। हिन्दू धर्म में हर त्यौहार उदया तिथि के अनुसार मनाया जाता है लेकिन प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय होती है, इस वजह से ये व्रत 11 मार्च को रखा जाएगा।
शुभ मुहूर्त- शाम 6 बजकर 47 मिनट से रात 9 बजकर 11 मिनट तक ।
Pradosh Vrat Puja Vidhi प्रदोष व्रत पूजा विधि
स्नान और व्रत का संकल्प:
प्रदोष व्रत शुरू करने से पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। संकल्प के दौरान यह प्रण लें कि आप भगवान शिव की पूजा पूरी श्रद्धा से करेंगे और सभी प्रकार के पापों से मुक्ति पाने की कामना करेंगे।
भगवान शिव का पूजन:
शाम के समय प्रदोष व्रत की पूजा शुरू होती है। सबसे पहले पूजा स्थल को स्वच्छ करके वहां भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग स्थापित करें। यदि संभव हो तो शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं। उसके बाद बेलपत्र, शहद, दूध, दही, और चीनी का मिश्रण तैयार करें और भगवान शिव को अर्पित करें।

दीपक जलाना:
पूजा के समय विशेष रूप से दीपक जलाने का महत्व है। दीपक को भगवान शिव के सामने रखें और उसकी ज्योति के माध्यम से आध्यात्मिक उन्नति की कामना करें। दीपक में घी का उपयोग करना शुभ होता है।
रुद्राभिषेक:
यदि संभव हो तो रुद्राभिषेक करें क्योंकि यह प्रदोष व्रत का मुख्य हिस्सा है। रुद्राभिषेक से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और पापों का नाश होता है। रुद्राभिषेक में दूध, जल, शहद, घी और अन्य सामग्री का उपयोग किया जाता है।
भजन और कीर्तन:
पूजा के बाद भगवान शिव के भजनों और मंत्रों का जाप करें। ॐ नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जाप करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।
