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Pradosh Vrat 2025: इस दिन रखा जाएगा अप्रैल माह का पहला प्रदोष व्रत, Note करें तिथि और महत्व

Edited By Prachi Sharma,Updated: 07 Apr, 2025 06:54 AM

pradosh vrat 2025

प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए माना जाता है। यह व्रत मासिक रूप से दो बार, एक बार शुक्ल पक्ष में और एक बार कृष्ण पक्ष में होता है।

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Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है जो विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा के लिए माना जाता है। यह व्रत मासिक रूप से दो बार, एक बार शुक्ल पक्ष में और एक बार कृष्ण पक्ष में होता है। प्रदोष व्रत का आयोजन हर महीने में दो बार होता है।  यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है, जिससे भक्तों को उनकी कृपा, आशीर्वाद और जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है। प्रदोष व्रत का पालन करने से न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है बल्कि यह मानसिक शांति, सुख, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी खोलता है।

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प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत का पालन करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। इसे विशेष रूप से उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए किया जाता है, जो जीवन में किसी भी प्रकार के संकट को दूर कर देता है। इस व्रत का महत्व इस बात से भी है कि यह व्यक्ति को बुरे कर्मों से मुक्ति दिलाता है और उसे अच्छे कर्मों के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है। भगवान शिव के बारे में कहा जाता है कि वे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं और प्रदोष व्रत के दिन उनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में हर प्रकार की समस्याओं का समाधान हो सकता है। प्रदोष व्रत का व्रति अपने जीवन को शुद्ध करता है, पुण्य अर्जित करता है और जीवन में सुख और समृद्धि की प्राप्ति करता है।

इस दिन रखा जाएगा अप्रैल माह में पहला प्रदोष व्रत 
हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 9 अप्रैल को 10 बजकर 55 मिनट से शुरु होगी और अगले दिन 11 अप्रैल को रात 01 बजे इसका समापन हो जाएगा। प्रदोष व्रत के दिन पूजा करने का समय 6 बजकर 44 मिनट से 08 बजकर 59 मिनट तक है। 

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Method of worship of Pradosh fast प्रदोष व्रत पूजा विधि:

व्रति को पूजा आरंभ करने से पहले शुद्धता के लिए स्नान करना चाहिए।

पूजा के लिए एक शुद्ध स्थान का चयन करें, जहाँ शांति और ध्यान की स्थिति बनी हो।

पूजा स्थल पर भगवान शिव का चित्र या मूर्ति रखें।

प्रदोष व्रत का संकल्प लें और व्रति संकल्प के साथ उपवास रखने का निर्णय करें।

बेलपत्र और दूध से भगवान शिव की पूजा करें। बेलपत्र भगवान शिव को अति प्रिय है, और इसे चढ़ाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। यदि संभव हो तो रुद्राभिषेक भी करें, जिससे पूजा और अधिक प्रभावी हो जाती है। पूजा के बाद भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। 

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Please Lord Shiva with these mantras इन मंत्रों से करें भगवान शिव को प्रसन्न 

।। श्री शिवाय नम:।।
।। श्री शंकराय नम:।।
।। श्री महेश्वराय नम:।।
।। श्री सांबसदाशिवाय नम:।।
।। श्री रुद्राय नम:।।
।। ओम पार्वतीपतये नम:।।
।। ओम नमो नीलकण्ठाय नम:।।

 

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