Edited By Niyati Bhandari,Updated: 07 Dec, 2024 11:47 AM
Pramukh Swami Maharaj Birthday: शास्त्री जी महाराज द्वारा स्थापित बी.ए.पी.एस. स्वामीनारायण संस्था के पांचवें आध्यात्मिक मुखिया प्रमुख स्वामी जी महाराज ने अमरीका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन जैसे अनेक महानुभावों को प्रभावित किया और भारत के राष्ट्रपति...
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Pramukh Swami Maharaj Birthday: शास्त्री जी महाराज द्वारा स्थापित बी.ए.पी.एस. स्वामीनारायण संस्था के पांचवें आध्यात्मिक मुखिया प्रमुख स्वामी जी महाराज ने अमरीका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन जैसे अनेक महानुभावों को प्रभावित किया और भारत के राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने तो इन्हें गुरु के रूप में ही अपना लिया। प्रमुख स्वामी महाराज का सांस्कृतिक वैभव दिल्ली के अक्षरधाम सहित 1500 मंदिरों में देखा जाता है, जो शिल्प, स्थापत्य, वास्तुकला और भारतीय वैज्ञानिक विरासत की झलक देते हैं। मंदिर विज्ञान और आध्यात्मिक ज्ञान का धाम होना चाहिए, प्रमुख स्वामी महाराज ने इसे साबित कर दिया।
चाणसद गांव में 7 दिसम्बर 1921 को जन्मे बालक ने मात्र 8 वर्ष विद्याभ्यास किया और गृह त्याग करके अहमदाबाद में शास्त्री जी महाराज के वरदहस्त से पार्षदी दीक्षा और अक्षरदेहरी, गोंडल में भगवती दीक्षा प्राप्त की। उन्हें 23 जनवरी, 1973 को संस्था का प्रमुख घोषित करते हुए ‘प्रमुख स्वामी जी महाराज’ का नाम दिया गया।
हिन्दू संस्कार, हिन्दू विचारधारा, हिन्दू संस्कृति के प्रवर्तन में जिन संतों का विशेष योगदान रहा, उनमें प्रमुख स्वामी महाराज विशेष रूप से अग्रसर थे। मंदिर निर्माण द्वारा उन्होंने सभी के लिए हिन्दुत्व के उदार मूल्य और वैश्विक विचार उद्घाटित किए। उनके दिव्य व्यक्तित्व व जीवन कार्य से समग्र विश्व लाभान्वित हुआ। अमरीका में तृतीय गगनचुम्बी भव्य पंचशिखरीय मंदिर का निर्माण करके स्वामी श्री ने भारतीय संस्कृति और अक्षरपुरूषोत्म उपासना का दुंदुभीनाद कर दिया। स्वामी श्री की साधना, स्फूर्ति, कान्ति एवं चुम्बकीय व्यक्तित्व देख कर सभी आश्चर्यचकित हो जाते थे।
स्वामीश्री का कहना था कि विज्ञान का विकास होने पर भी मनुष्य सुखी नहीं है। उसे शान्ति नहीं मिलती क्योंकि भौतिकवाद बढ़ रहा है। भौतिक सुख के लिए आपस में कलह और अशांति होती है। हमारे आंतरिक दोष, एक-दूसरे के प्रति अहंमत्व और रागद्वेष के कारण समाज में बुरे कार्य भी होते हैं। दुनिया का बाहृा विकास हुआ, किंतु आंतरिक विकास के लिए संतों का अनुसरण और सभी के लिए कल्याण की भावना रखना ही हमारा धर्म है। हमारा जीवन निर्व्यसनी एवं सदाचारी होना चाहिए।
परोपकारी एवं लोकहित के रक्षक करुणामूर्ति संत ने हजारों गांवों-शहरों को अपनी पुनीत पदरेणु से पावन किया। विश्व के सबसे विशाल संगमरमरी हिंदू मंदिर का नीसडेन लन्दन में निर्माण करने के अलावा गांधी नगर, दिल्ली व अमरीका के न्यूजर्सी में अक्षरधाम की अनुपम सौगात देने वाले स्वामी जी महाराज ने अपनी कर्मभूमि सारंगपुर में 13 अगस्त, 2016 को अन्तिम सांस ली। उनकी स्मृति में वहां मंदिर का निर्माण किया गया है।