Edited By Niyati Bhandari,Updated: 20 Nov, 2024 01:26 PM
अभी हाल ही में अपने चारों तरफ के क्षेत्र में एक नजर दौड़ाई और आसपास के लोगों से बातचीत की तो मालूम पड़ा बहुत से लोगों की मृत्यु कैंसर जैसे रोग
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Health Mantra: अभी हाल ही में अपने चारों तरफ के क्षेत्र में एक नजर दौड़ाई और आसपास के लोगों से बातचीत की तो मालूम पड़ा बहुत से लोगों की मृत्यु कैंसर जैसे रोग से हुई। बहुत से घरों में शोक प्रकट करने गए तो पारिवारिक सदस्य से भी बातचीत हुई तो सभी लोगों ने देश के अन्य हिस्सों के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश में इस बढ़ते हुए रोग पर चिंता जताई।
आखिर शुद्ध हवा-पानी वाले हिमाचल प्रदेश में कैंसर रोगियों की संख्या क्यों बढ़ रही है ? इस कारण सोचने के लिए विवश होना पड़ा। एक जगह तो बातचीत में यह पता चला कि एक ही दिन में पी.जी.आई. चंडीगढ़ में भर्ती होने वाले चौंतीस रोगियों में से तैंतीस रोगी हिमाचल प्रदेश के थे।
स्वाभाविक रूप से नर्स भी चिंतित हो गई और उसने कहा कि आप हिमाचल वाले पता नहीं क्या खा रहे हैं, जो इतने मरीज इस भयानक बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं। इसका कुछ आकलन किया तो कुछ चीजें सामने आईं, जो विभिन्न रूपों से इस बीमारी का कारण बन रही हैं।
आज किचन की पाइप बंद हो गई तो उसे खोलने के लिए काफी मेहनत की तो स्टील वूल का काफी बड़ा गुच्छा तथा वाशिंग डिश का कचरा निकला। मैं समझता हूं कि कुछ अंश थाली में फंसे हुए और प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े हमारे शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। ये पदार्थ किसी तरह हमारे आंत, आमाशय और दूसरे अंगों को प्रभावित करते हैं। वाशिंग डिटर्जेंट डिश बार में उपस्थित कैमिकल भी शरीर में प्रवेश कर रहे हैं।
आज वायु में बहुत से धूल कण चाहे कहीं से भी निकले हों मशीनों की कटिंग से, क्रशर से, ये सारी चीजें वायु के साथ फेफड़ों में प्रवेश कर भयानक बीमारी का कारण बन रही हैं। आज फेफड़ों के कैंसर के मरीजों की संख्या में बहुत बढ़ौतरी हुई है। आज की युवा पीढ़ी खाने-पीने के मामले में फास्ट फूड को प्राथमिकता देती है। वहीं पैक्ड उत्पादों को स्टोर करने के लिए तथा कई दूसरे उत्पाद मिले होने के कारण ये हमारे भोजन को जहरीला बना देते हैं।
कृषि की उर्वरकों पर अत्यधिक निर्भरता के कारण हमारा अधिकांश भोजन विषाक्त हो गया है और इसके परिणामस्वरूप कैंसर रोगियों की संख्या में बहुत अधिक वृद्धि देखी जा रही है। यूरिया एवं खाद के इस्तेमाल से जहां पैदावार अच्छी होती है, वहीं इसके प्रतिकूल प्रभाव मानव शरीर में घातक रोगों का कारण बन रहे हैं। इससे बचने के लिए कृषकों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने के लिए और अधिक कार्य किए जाने की आवश्यकता है।
बहुत दिनों तक ये उत्पाद कोल्ड स्टोरेज में रहते हैं और कई दिनों तक हमारे रैफ्रिजरेटर में रहते हैं। खरपतवारनाशी, पीड़कनाशी का इन पर छिड़काव इन्हें जहरीला बना देते हैं। क्या हमारा दूध सुरक्षित है ? समाचार और अखबारों में जब दूध में मिलावट के विषय में देखते और पढ़ते हैं तो हैरानी होती है। कुछ लोग चंद रुपयों के लालच में कितने लोगों की जान से खिलवाड़ करते हैं। लागत अधिक और उत्पादन कम हो तो आपूर्ति को पूरा करने के लिए बहुत से मिलावटी पदार्थ हमारे शरीर में लगातार जहर घोल रहे हैं और हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को नुक्सान पहुंचा रहे हैं।
हमारे भोजन में शामिल मांस, पोल्ट्री उत्पाद भी हानिकारक रसायनों से भरे हुए हैं। इनके उत्पादन को बढ़ाने के लिए विभिन्न गलत तरीके अपनाए जा रहे हैं। हमारी शारीरिक क्रियाओं का कम होना व्यायाम न करना भी आज गम्भीर रोगों के लिए जिम्मेदार है।