Edited By Prachi Sharma,Updated: 02 Dec, 2023 07:54 AM
राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन उन दिनों उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष थे। उनके मिलनसार स्वभाव के कारण उनके यहां अतिथियों का आना-जाना
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Purushottam Das Tandon Story: राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन उन दिनों उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष थे। उनके मिलनसार स्वभाव के कारण उनके यहां अतिथियों का आना-जाना हमेशा लगा रहता था। उस समय देश में गेहूं-चावल का अभाव था। सरकार ने गेहूं-चावल का वितरण, राशन की दुकानों के द्वारा करना शुरू कर दिया था ताकि इनके वितरण पर नियंत्रण किया जा सके एवं जनसामान्य लोगों को उचित दर पर अनाज मिल सके।
चूंकि टंडन जी के यहां पर मेहमान हमेशा आते रहते थे, अत: महीने भर का राशन पहले सप्ताह में ही खत्म हो जाता था। उनके यहां जब गेहूं-चावल खत्म हो जाता था तो जौ की रोटियां बनाई जाती थीं। एक दिन टंडन जी को संदेश मिला कि कांग्रेस के कुछ नेता बिहार से लखनऊ आ रहे हैं। टंडन जी के यहां वे सभी लोग दोपहर का भोजन करके हवाई जहाज से दिल्ली चले जाएंगे।
उनके यहां का गेहूं का आटा तथा दाल-चावल पहले ही समाप्त हो चुका था। रसोइए ने कहा कि आप चिंता न करें मैं खुले बाजार से ब्लैक में आटा और चावल ले आता हूं, ताकि मेहमानों की खातिरदारी बराबर की जा सके लेकिन टंडन जी ने इस बात का विरोध किया। टंडन जी ने कहा कि मैं ब्लैक में राशन नहीं मंगाऊंगा। उन्होंने रसोइयों से कहा कि वे अपने बगीचे से आलू मंगवा लें। आलू को उबालकर छील लें तथा उन्हें थाली में रख दें। साथ में नमक और काली मिर्च भी रख दें। रसोइयों को यह बात समझ में नहीं आ रही थी किंतु टंडन जी के सामने वे कुछ नहीं बोल पाए।
अतिथि आए, बातचीत के बाद टंडन जी उन्हें भोजन की मेज पर ले गए।
वह बोले, ‘‘आज आटा, दाल-चावल समाप्त हो गया है और मैंने पार्टी के पैसों से ब्लैक में अनाज लेना उचित नहीं समझा। अत: आपको आज यही भोजन ग्रहण करना पड़ेगा।’’
मेहमानों ने बिना कुछ कहे, बड़े प्रेमपूर्वक उपलब्ध भोजन ग्रहण किया और टंडन जी के सिद्धांत एवं आदर्श की प्रशंसा की। भोजन के उपरांत सभी ने टंडन जी को साधुवाद दिया।