Edited By Niyati Bhandari,Updated: 18 Sep, 2020 06:04 AM
भगवान श्री हरि विष्णु के भक्तों के लिए मलमास, अधिक मास या पुरुषोत्तम मास किसी बड़े पर्व से कम नहीं होता। एक महीने तक चलने वाले इस महीने के दौरान ध्यान, पूजन, कथा, स्तोत्र, आरती, चालीसा आदि पढ़ने का बहुत महत्व है।
भगवान श्री हरि विष्णु के भक्तों के लिए मलमास, अधिक मास या पुरुषोत्तम मास किसी बड़े पर्व से कम नहीं होता। एक महीने तक चलने वाले इस महीने के दौरान ध्यान, पूजन, कथा, स्तोत्र, आरती, चालीसा आदि पढ़ने का बहुत महत्व है। शास्त्रों के अनुसार इस माह जो व्यक्ति विष्णुसहस्रनाम का पाठ और श्री भागवत जी का पाठ करता है उसके लिए भगवान खोल देते हैं ऐश्वर्य के द्वार।
श्रीमद् भागवत को साक्षात श्री कृष्ण का स्वरूप माना गया है। इसको सुनने और सुनाने से भोग और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है। कलयुग में भागवत जी का पाठ हर दुख का अंत करने वाला है। इसके श्रवण मात्र से हरि हृदय में आ विराजते हैं। जो पुण्य गंगा, गया, काशी, पुष्कर या प्रयाग तीर्थ से प्राप्त होता है, उससे भी अधिक पुण्य भागवत कथा से प्राप्त होता है।
महाभारत के 'अनुशासन पर्व' में भगवान विष्णु के एक हजार नामों का वर्णन मिलता है। जब भीष्म पितामह बाणों की शय्या पर थे उस समय युधिष्ठिर ने उनसे पूछा कि, "कौन ऐसा है, जो सर्व व्याप्त है और सर्व शक्तिमान है?"
तब उन्होंने भगवान विष्णु के एक हजार नाम बताए थे। मंत्र से होने वाले लाभ: भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया था कि हर युग में इन नामों को पढ़ने या सुनने से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यदि प्रतिदिन इन एक हजार नामों का जाप किया जाए तो सभी मुश्किलें हल हो सकती हैं। विष्णु सहस्रनाम हिंदू धर्म के दो प्रमुख सम्प्रदाय शैव और वैष्णवों को जोड़ने का कार्य करता है। विष्णु सहस्रनाम को और भी बहुत सारे नामों से जाना जाता है जैसे- शम्भु, शिव, ईशान और रुद्र। इससे ज्ञात होता है कि शिव अौर विष्णु में कोई अंतर नहीं है ये एक समान हैं।
विष्णु सहस्रनाम के जाप में बहुत सारे चमत्कार समाएं हैं। इस मंत्र को सुनने मात्र से संवर जाएंगे सात जन्म, सभी कामनाएं हो जाएंगी पूर्ण और हर दुख का हो जाएगा अंत।