Pausha Putrada Ekadashi : संतान की रक्षा करता है ये व्रत, पढ़ें व्रत विधि और कथा

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 02 Jan, 2025 06:38 AM

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Pausha Putrada Ekadashi 2025: पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पुत्रदा एकादशी के नाम से प्रसिद्ध है, इस दिन विधिवत व्रत करके मनुष्य पुत्र रत्न की प्राप्ति कर सकता है। साल 2025 में यह एकादशी व्रत कल यानी 10 जनवरी, शुक्रवार को पड़ रहा है। यह व्रत अपने...

Pausha Putrada Ekadashi 2025: पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पुत्रदा एकादशी के नाम से प्रसिद्ध है, इस दिन विधिवत व्रत करके मनुष्य पुत्र रत्न की प्राप्ति कर सकता है। साल 2025 में यह एकादशी व्रत कल यानी 10 जनवरी, शुक्रवार को पड़ रहा है। यह व्रत अपने नाम के अनुकूल ही पुण्य फलदायक, पुत्रदायक तथा संतान की रक्षा करने वाला है।

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Pausha Putrada Ekadashi 2025 Vrat vidhi : कैसे करें व्रत- व्रत करने के लिए प्रात: सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि क्रियाओं से निर्वित होकर भगवान श्री नारायण जी का धूप, दीप, पुष्प, नेवैद्य, मिठाई तथा मौसम के फलादि से पूजन करके अपना समय प्रभु नाम संकीर्तन में बिताना चाहिए। रात को मंदिर में दीपदान करके रात्रि जागरण करना चाहिए। अगले दिन यानि 11 जनवरी को द्वादशी के दिन स्नानादि क्रियाओं से निवृत होकर भगवान के पूजन के पश्चात ब्राह्मणों को अन्न, गर्म वस्त्र एवं कम्बल आदि का दान करना अति उत्तम कर्म है। यह व्रत क्योंकि सोमवार को है इसलिए इस दिन सफेद वस्तुओं का दान करना चाहिए। व्रत में बिना नमक के फलाहार करना श्रेष्ठ माना गया है तथा अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए।

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What does Putrada Ekadashi mean: क्या है पुण्यफल- पदमपुराण के अनुसार सभी कामनाओं तथा सिद्धियों के दाता भगवान श्री नारायण ही इस तिथि के अधिदेवता हैं। इस व्रत के प्रभाव से जहां जीव की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, वहीं उसके सभी पापों का नाश होता है । संतान सुख की इच्छा रखने वालों को पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। जो लोग मंदिर में जाकर दीपदान करते हैं, रात्रि में हरिनाम संकीर्तन करते हैं, उन्हें इतने अधिक पुण्यों की प्राप्ति होती है कि उनकी गणना चित्रगुप्त भी नहीं कर सकते।

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Putrada Ekadashi 2025 Vrat Katha: व्रत कथा- प्राचीन काल में भद्रावती नगरी में सुकेतुमान नाम का राजा अपनी रानी शैव्या के साथ राज्य करता था। वह बड़ा धर्मात्मा राजा था और अपना अधिक समय जप, तप और धर्माचरण में व्यतीत करता था। राजा के द्वारा किया गया तर्पण पितर, देवता और ऋषि इसलिए नहीं लेते थे क्योंकि वह उन्हें ऊष्ण जान पड़ता था। इस सबका कारण राजा के पुत्र का न होना था। राजा हर समय इस बात से चिंतित रहता था कि पुत्र के बिना वह देव ऋण, पितृ ऋण और मनुष्य ऋण से मुक्ति कैसे प्राप्त कर सकता है। इसी चिंता से एक दिन राजा बड़ा उदास एवं निराश होकर घोड़े पर बैठकर अकेले ही जंगल में निकल गया। वहां भी पशु-पक्षियों की आवाजों और शोर के कारण राजा के अशांत मन को शान्ति नहीं मिली।

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अंत में राजा ने कमल पुष्पों से भरे एक सरोवर को देखा, वहां ऋषि मुनि वेद-मंत्रो का उच्चारण कर रहे थे। राजा ने सभी को प्रणाम किया तो विश्वदेव ऋषियों ने राजा की इच्छा पूछी। राजा ने उनसे पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद मांगा। ऋषियों ने राजा को पुत्रदा एकादशी का व्रत करने के लिए कहा।

राजा वापिस राज्य में आया और उसने रानी के साथ पुत्रदा एकादशी का व्रत बड़े भाव से किया। व्रत के प्रभाव से राजा को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, जिससे सभी प्रसन्न हुए और स्वर्ग के पितर भी संतुष्ट हो गए। शास्त्रों के अनुसार पुत्र प्राप्ति की कामना से व्रत करने वाले को पुत्र की प्राप्ति अवश्य होती है।

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Pausha Putrada Ekadashi 2025 Date Significance : क्या कहते हैं विद्वान- एकादशी व्रत में सत्संग एवं रात्रि संकीर्तन करने का अत्यधिक महत्व है। प्रत्येक आत्मा का पुत्र विवेक है तथा श्री रामचरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी भी कहते हैं- बिनु सत्संग विवेक न होई। विवेक रूपी पुत्र की प्राप्ति के लिए हर जीव को पुत्रदा एकादशी का व्रत बड़े विधि-विधान के अनुसार करना चाहिए।

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