Edited By Niyati Bhandari,Updated: 10 Sep, 2024 10:59 AM
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी श्री राधा अष्टमी के नाम से प्रसिद्ध है क्योंकि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की शक्ति स्वरूपा श्री राधा जी प्रकट हुई थी। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष
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Radha Ashtami 2024: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी श्री राधा अष्टमी के नाम से प्रसिद्ध है क्योंकि इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की शक्ति स्वरूपा श्री राधा जी प्रकट हुई थी। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रात्रि 12 बजे हुआ था जबकि श्रीराधा रानी का जन्म शुक्ल पक्ष की अष्टमी को दोपहर 12 बजे हुआ था। महिलाएं घर में सुख, शांति एवं खुशहाली के लिए श्री राधा अष्टमी का व्रत करती हैं। जहां श्री राधा हैं, वहां भगवान श्रीकृष्ण रहते हैं तथा जहां दोनों होते हैं, वहां किसी वस्तु का कभी अभाव हो ही नहीं सकता। श्री राधा जी भगवान श्री कृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी हैं इसलिए भगवान सदा ही राधा जी के अधीन रहते हैं। श्री राधा भगवान की निज स्वरूपा शक्ति हैं, जो सच्चिदानंदमयी एवं नित्य हैं। वह भगवान श्री कृष्ण की भांति ही ब्रह्म स्वरूपा तथा प्रकृति से परे हैं। यह व्रत परिवार में पति-पत्नी अपने परिवार की सुख-शान्ति, समृद्धि, खुशहाली, संतान सुख और उन्नति की कामना से करते हैं। सभी सुखों को देने वाली राधा रानी जी का व्रत श्री महालक्ष्मी जी के रुप में भी किया जाता है।
श्री राधा जी के चरणों के दर्शन
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन श्री राधा जी के श्री चरणों के दर्शन होते हैं। उनके चरणकमलों की सुन्दरता का वर्णन कर पाना भी किसी के लिए सम्भव नहीं है। भक्ति के अवतार देवर्षि नारद ने एक बार भगवान सदाशिव के श्री चरणों में प्रणाम करके पूछा कि श्री राधा देवी लक्ष्मी, देवपत्नी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अंतरंग विद्या, वैष्णवी प्रकृति, वेदकन्या, मुनिकन्या आदि में से कौन हैं ?
इस प्रश्न के उत्तर में भगवान ने कहा कि किसी एक की बात क्या कहें, कोटि कोटि महालक्ष्मी भी उनके चरण कमलों की शोभा के सामने नहीं ठहर सकती इसलिए श्री राधा जी के रुप, गुण और सुन्दरता का वर्णन किसी एक मुख से करने में तीनों लोकों में भी कोई सामर्थ्य नहीं रखता।
उनकी रुप माधुरी जगत को मोहने वाले श्रीकृष्ण को भी मोहित करने वाली है। इसी कारण अनन्त मुख से भी मैं उनका वर्णन नहीं कर सकता। श्री राधा रानी जी के दर्शन तो भक्तजन प्रतिदिन कर सकते हैं परंतु उनके सुन्दर चरणों के दर्शन केवल श्री राधा अष्टमीं को ही होते हैं। जो कोई उनके चरणों के दर्शन कर लेता है उनकी सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण हो जाती हैं।