Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Sep, 2024 06:32 AM
राधा अष्टमी हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो भगवान श्री कृष्ण की प्रिया राधा रानी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से भक्ति पंथियों के बीच महत्वपूर्ण है और इसे भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को धूमधाम से मनाया जाता...
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Radha Ashtami 2024:राधा अष्टमी हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो भगवान श्री कृष्ण की प्रिया राधा रानी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से भक्ति पंथियों के बीच महत्वपूर्ण है और इसे भाद्रपद मास की अष्टमी तिथि को धूमधाम से मनाया जाता है। यह तिथि आमतौर पर अगस्त या सितंबर महीने में आती है। राधा अष्टमी की पूजा मुख्य रूप से उत्तर भारत में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ की जाती है लेकिन पूरे देश में इसे विभिन्न रूपों में मनाया जाता है। राधा रानी श्री कृष्ण की दिव्य प्रेमिका और सखि थीं। राधा रानी का व्यक्तित्व और उनकी भक्ति की गहराई ने उन्हें कृष्ण भक्तों के लिए आदर्श बना दिया है।
राधा अष्टमी के अवसर पर भक्त विशेष रूप से राधा रानी की पूजा करते हैं और उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को याद करते हैं। पूजा के दौरान भक्त राधा रानी की विशेष अर्चना करते हैं, उनके भजन और कीर्तन गाते हैं, भव्य झांकियां सजाते हैं। इस दिन विशेष रूप से राधा रानी के मंदिरों में भीड़ लगती है और वहां भक्तजन रात भर जागरण करते हैं।
Method of Radha Ashtami Puja राधा अष्टमी पूजा विधि: ठीक मध्यान के समय राधाकृष्ण का युगल पूजन करें। घर की उत्तर दिशा में लाल रंग का कपड़ा बिछाएं तथा मध्य भाग में चौकी पर मिट्टी या तांबे का कलश स्थापित करें। चौकी पर राधा और कृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। राधाकृष्ण को पंचामृत से स्नान करवाएं। राधा जी को सोलह शृंगार आर्पित करें तत्पश्चात राधाकृष्ण का पंचोपचार पूजन करें। धूप, दीप, पुष्प, चंदन और मिश्री अर्पित करें तथा इस मंत्र का सामर्थ्यानुसार जाप करें। मंत्र जाप पूरा होने के बाद यथासंभव एक समय भोजन करें अथवा व्रत करें। ब्राह्मण सुहागन स्त्रियों को भोजन करवाकर आशीर्वाद लें तथा श्रीराधा को अर्पित सोलह श्रृंगार का सामान भेंट करें।
Mantra of Radha Ashtami राधा अष्टमी का मंत्र: ममः राधासर्वेश्वर शरणं॥
Significance of Radha Ashtami राधा अष्टमी का महत्व: राधा अष्टमी की महिमा केवल भक्ति तक सीमित नहीं है बल्कि यह समाज में प्रेम, समर्पण और स्नेह के महत्व को भी दर्शाती है। राधा और कृष्ण का प्रेम संबंध दिव्य प्रेम का प्रतीक है और यह प्रेम वियोग और मिलन का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करता है। राधा अष्टमी के दिन भक्त इस प्रेम का अनुसरण करने की कोशिश करते हैं और इसे अपने जीवन में अपनाने का प्रयास करते हैं।
राधा अष्टमी को लेकर विभिन्न जगहों पर विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं, जिसमें संगीत, नृत्य और नाटकों के माध्यम से राधा और कृष्ण की लीलाओं का चित्रण किया जाता है। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य राधा रानी के प्रति भक्तों की श्रद्धा को और भी बढ़ाना और उनके जीवन से सीखने के लिए प्रेरित करना होता है।