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क्यों मनाई जाती है राधा अष्टमी ?

Edited By Lata,Updated: 03 Sep, 2019 03:18 PM

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भाद्रपद का महीना शुरू होने से व्रत और त्योहारों की शुरुआत हो जाती है। वहीं कृष्ण जन्माष्टमी के बाद उनकी प्रियसी श्री राधा का जन्म उत्सव मनाया जाता है।

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भाद्रपद का महीना शुरू होने से व्रत और त्योहारों की शुरुआत हो जाती है। वहीं कृष्ण जन्माष्टमी के बाद उनकी प्रियसी श्री राधा का जन्म उत्सव मनाया जाता है। इस साल ये त्योहार 06 सितंबर 2019 दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा। बता दें कि राधा अष्टमी का त्योहार कृष्ण जन्माष्टमी के पंद्रह दिन के बाद आता है। शास्त्रों में राधा अष्टमी का वर्णन विस्तार से मिलता है। कहते हैं कि इस दिन व्रत रखने से राधा रानी की कृपा को प्राप्त किया जा सकता है। मान्यता है कि राधा अष्टमी का व्रत किए बिना जन्माष्टमी व्रत फल प्राप्त नहीं होता है। इसलिए इस दिन हर व्यक्ति को व्रत रखना चाहिए। चलिए आगे जानते हैं कहां और क्यों मनाया जाता है राधा अष्टमी का पर्व।
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क्यों मनाई जाती है राधा अष्टमी 
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधाष्टमी व्रत रखा जाता है। भगवान श्री कृष्ण के बिना राधा जी अधूरी हैं और राधा जी के बिना श्री कृष्ण। जन्माष्टमी के लगभग 15 दिनों बाद ही राधा अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति जन्माष्टमी का व्रत रखता है और राधा अष्टमी का व्रत नहीं रखता तो उसे जन्माष्टमी के भी फलों की प्राप्ति नहीं होती। इस दिन जो भी व्यक्ति सच्चे मन और श्रद्ध से राधा जी की आराधना करता है, उसे अपने जीवन में सभी प्रकार के सुख साधनों की प्राप्ति होती है और उसे अपने जीवन मे किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। शास्त्रों के अनुसार ये दिन राधा रानी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। 
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राधा जी के जन्म को लेकर मान्यता 
पौराणिक कथा के अनुसार माना जाता है कि एक बार भगवान श्री कृष्ण अपने धाम गोलोक में बैठे थे। वह किसी ध्यान में मग्न थें कि अचानक से उनके मन में एक सी उठी। भगवान श्री कृष्ण की उस आनंद की लहर से एक बलिका प्रकट हुई। जो राधा कहलाई। इसी कारण से ही श्री कृष्ण का जाप करने से पहले राधा का नाम लेना आवश्यक है। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो कृष्ण जाप का भी पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। राधा अष्टमी को त्योहार रावल और बरसाने में बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार राधा जी का जन्म सुबह के 4 बजे हुआ था। इसी कारण से यह उत्सव रात से ही शुरु हो जाता है। 
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जैसे कि इसका नाम से ही स्पष्ट होता है कि इस दिन राधा रानी की पूजा का विधान है। ये त्योहार रावल, बरसान, मथुरा और वृंदावन के साथ-साथ जम्मू कश्मीर में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। बता दें कि इस दिन राधा रानी चरण दर्शन भी होते हैं। जोकि पूरे साल में केवल एक बार यानि राधा अष्टमी के दिन ही होते हैं। 

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