Edited By Niyati Bhandari,Updated: 12 Nov, 2024 01:01 PM
Rahu in astrology: धार्मिक ग्रंथों में राहु का उल्लेख समुद्र मंथन के समय जब समुद्र से अमृत निकला तब ‘अमृत चोर’ नाम से किया जाता है। द्वितीयेश या पंचमेश के साथ राहु की युति या दृष्टि होती है, तो व्यक्ति को पारिवारिक सुख कम मिलता है। यदि वे संयुक्त...
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Rahu in astrology: धार्मिक ग्रंथों में राहु का उल्लेख समुद्र मंथन के समय जब समुद्र से अमृत निकला तब ‘अमृत चोर’ नाम से किया जाता है। द्वितीयेश या पंचमेश के साथ राहु की युति या दृष्टि होती है, तो व्यक्ति को पारिवारिक सुख कम मिलता है। यदि वे संयुक्त परिवार में रहते हैं, तो परिवार के महत्वपूर्ण निर्णयों में ऐसे व्यक्ति की उपेक्षा की जाती है। यदि ऐसा व्यक्ति स्वयं घर का मालिक होता है, तो निर्णय लेते समय उलझनें पैदा कर देता है। ऐसे लोग परिवार की जिम्मेदारी निभाने से डरते हैं लेकिन मिथ्या अभिमान करते हैं।
What are the negative effects of Rahu: ऐसे व्यक्ति हमेशा धन की तंगी महसूस करते हैं। ऐसे व्यक्तियों की संतान शारीरिक कष्ट वाली या कमी वाली या आज्ञाकारी नहीं होती या संतान सुख विलंब से मिलता है। ऐसे जातक का विद्या-अभ्यास अधूरा रहता है। यदि किसी उद्योग-धंधे में लगे हुए होते हैं, तो जितना विकास होना चाहिए उतना नहीं कर पाते।
राहु को पूर्व जन्म और बाप-दादाओं का भी कारक माना जाता है इसलिए ज्योतिषियों के मतानुसार द्वितीय या पंचम भाव स्थित राहु पितृदोष के समान मानने में आता है। जब कभी राहु के साथ द्वितीयेश या पंचमेश की युति या दृष्टि संबंध होता है, तो पितृदोष जैसा ही फल मिलता है। परिवार क्लेश, अकाल मृत्यु, लंबी असाध्य बीमारी, संतान नहीं होना, विवाह नहीं होना, स्वप्न में पूर्वजों का आभास होना, स्वप्न में नाग-सर्प, श्मशान देखना आदि।
Rahu grah ke upay: राहु की शांति के लिए इस मंत्र का जाप रात्रि में घी और तेल के दीपक जलाकर करना चाहिए। रात को संभव न हो तो सुबह शुद्ध अवस्था में आने के बाद राहु के मंत्र का 108 बार जाप करना कुंडली में राहु के दोष को कम करता है।
Rahu Grah Mantra मंत्र- ॐ रां. राहवे नम:
गोमेद रत्न धारण करने से राहु के अशुभ प्रभाव नष्ट होने लगते हैं। इस रत्न को किसी विशेज्ञ से सलाह करने के बाद धारण करें।
बुधवार को जौ, सरसों या सरसों के तेल से बने खाद्य पदार्थ, सिक्के, 7 तरह का अनाज, नीले अथवा भूरें रंग के कपड़े और कांच का सामान अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करें।