Edited By Niyati Bhandari,Updated: 22 Aug, 2023 09:22 AM

क बार राजा मान सिंह प्रसिद्ध कवि कुंभनदास के दर्शन के लिए वेश बदलकर उनके घर पहुंचे। उस समय कुंभनदास अपनी बेटी को आवाज लगाते हुए
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Raja Mansingh and Kumbhandas story: एक बार राजा मान सिंह प्रसिद्ध कवि कुंभनदास के दर्शन के लिए वेश बदलकर उनके घर पहुंचे। उस समय कुंभनदास अपनी बेटी को आवाज लगाते हुए कह रहे थे, “बेटी, दर्पण तो लाना, मुझे तिलक लगाना है।”
बेटी जब दर्पण लाने लगी तो वह नीचे गिरकर टूट गया। यह देखकर कुंभनदास बोले, “कोई बात नहीं, किसी बर्तन में जल भर लाओ।”

कुंभनदास के पास बैठकर राजा बातें करने लगे और बेटी एक टूटे हुए घड़े में पानी भरकर ले आई। जल की छाया में अपना चेहरा देखकर कुंभनदास ने तिलक लगा लिया। यह देखकर राजा दंग रह गए। वह कुंभनदास से अत्यंत प्रभावित हुए। राजा यह सोचकर प्रसन्न थे कि कवि कुंभनदास उन्हें पहचान नहीं पाए हैं। राजा वहां से चले गए।
अगले दिन वह एक स्वर्ण जड़ित दर्पण लेकर कवि के पास पहुंचे और बोले, “कविराज, आपकी सेवा में यह तुच्छ भेंट अर्पित है। कृप्या इसे स्वीकार कीजिए।”

कुंभनदास विनम्रतापूर्वक बोले, “महाराज आप ! अच्छा तो कल वेश बदलकर आप ही हमसे मिलने आए थे। कोई बात नहीं। हमें आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा। पर एक विनती है।”
राजा ने पूछा, “क्या कविराज?”
कुंभनदास बोले, “आप मेरे घर अवश्य आइए लेकिन खाली हाथ। यदि आप अपने साथ ऐसी ही वस्तुएं लेकर आते रहे तो बेकार की वस्तुओं से मेरा घर भर जाएगा।”

मुझे व्यर्थ की वस्तुओं से कोई मोह नहीं। मुझे बस मां सरस्वती की कृपा की आवश्यकता है। कवि के इस स्वाभिमानी रूप को देखकर राजा आश्चर्यचकित रह गए। उस दिन से वह कुंभनदास के प्रशंसक हो गए।