Edited By Prachi Sharma,Updated: 24 Dec, 2023 10:02 AM
रेत के टीलों के बीच बसा राजस्थान का खिमसर गांव दुखती आंखों का इलाज है। यह एक ऐसा छिपा हुआ रत्न है जो उन लोगों के लिए एक आदर्श
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रेत के टीलों के बीच बसा राजस्थान का खिमसर गांव दुखती आंखों का इलाज है। यह एक ऐसा छिपा हुआ रत्न है जो उन लोगों के लिए एक आदर्श अवकाश स्थल है जो शांत माहौल में कुछ दिन आराम करना चाहते हैं। डेजर्ट सफारी, सूर्यास्त देखने और नागौर महोत्सव का दौरा करने के साथ-साथ खिमसर ‘स्टारगेजिंग’ जैसा अनूठा अनुभव प्रदान करता है। खिमसर किला, पंचला ब्लैक बक रिजर्व और नागौर किला, कुछ ऐसे स्थान हैं जहां आप आस-पास रहते हुए घूम सकते हैं।
दरअसल, यह एक गांव नुमा रिजॉर्ट है। इसका पूरा नाम ‘खिमसर फोर्ट एंड ड्यून्स’ है, जो राजस्थान के नागौर जिले के विधानसभा क्षेत्र खिमसर में स्थित है।
1523 में बना खिमसर फोर्ट जोधपुर बसाने वाले महाराजा राव जोधा के आठवें बेटे मुगलों से चौथा युद्ध लड़ने के लिए खिमसर आए थे। तब खिमसर व नागौर इलाके जोधपुर राजा के ही अधीन थे। उस समय 1523 में खिमसर फोर्ट का निर्माण करवाया गया था। फिर साल 1979 में गजेंद्र सिंह खिमसर ने फोर्ट को लग्जरी होटल में बदल दिया। तब फोर्ट में 7-8 कमरे थे, जो अब बढ़कर 71 हो चुके हैं। फोर्ट को होटल बनाने के दौरान काफी निर्माण कार्य हुआ, मगर फोर्ट के मूल स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं की गई।
खिमसर फोर्ट से 6 किलोमीटर दूर अनूठा गांव
गांव खिमसर में ही फोर्ट से 6 किलोमीटर दूर आंकला गांव की तरफ राजस्थान का थार मरूस्थल शुरू हो जाता है। ऐसे में यहां पर मिट्टी के बड़े-बड़े टीले हैं, जो करीब 300 से 400 फुट ऊंचे हैं। यहीं पर पर्यटकों के लिए ‘सैंड ड्यून्स विलेज’ (रेतीले टीलों वाला गांव) बसाया गया है। ‘सैंड ड्यून्स विलेज’ में मिट्टी के टीले, पेड़ और यहां की आबोहवा अछूते और प्राकृतिक है। साल 2002 में इसे बसाते समय टीलों और खेजड़ी के पेड़ों को मूलरूप में ही रखा गया। यहां पर बीचों-बीच झील बनाई गई, जिसे नलकूप के पानी से भरा जाता है। इसके अलावा यहां पर खजूर के पेड़ लगाए गए हैं।
करीब 21 साल पहले ‘सैंड ड्यून्स विलेज’ खिमसर की शुरुआत 6 कमरों से की गई थी। यहां के कमरों की खास बात है कि ये बाहर से झोंपड़ेनुमा दिखाई देते हैं, मगर भीतर से पूरी तरह लग्जरी हैं। पहले उनमें टी.वी. फोन व इंटरनैट आदि की सुविधा नहीं थी। ऐसा शांत वातावरण होने के कारण उनमें लेखक, साहित्यकार और प्रकृति प्रेमी आकर ठहरने लगे थे।
लालटेन की रोशनी में भोजन
धीरे-धीरे खिमसर के इस अनूठे गांव की पहचान बनती गई और पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ने लगी। लोग यहां आकर लालटेन की रोशन में ग्रामीण माहौल में भोजन करने, ऊंट व जीप सफारी और रातों को खुले आसमां में तारे देखने के लिए आने लगे।
55 एकड़ में फैला है गांव
‘सैंड ड्यून्स विलेज’ में पर्यटकों की दिलचस्पी बढ़ने के कारण इसमें झोंपड़ेनुमा कमरों की संख्या बढ़ाकर 18 की गई। साथ उन कमरों में टी.वी., इंटरनेट, फोन व ए.सी. की भी सुविधा उपलब्ध करवाई गई। ‘सैंड ड्यून्स विलेज’ 55 से 60 एकड़ में फैला है। राजस्थान में अक्तूबर से मार्च के बीच पर्यटन सीजन होता है, जिसमें हजारों देशी-विदेशी पर्यटक ‘सैंड ड्यून्स विलेज’ घूमने आते हैं। यहां पर एक पर्यटक का औसत 10 से 15 हजार रुपए खर्च आता है।
‘सैंड ड्यून्स विलेज’ में वाहनों की मनाही
‘सैंड ड्यून्स विलेज’ आने वाले पर्यटकों को जीप व कैमल सफारी की सुविधा उपलब्ध करवाई जाती है, मगर खास बात यह है कि यहां अपनी गाड़ियों को ला कर पार्क करने तथा टीलों पर वाहन ले जाने की मनाही है ताकि इलाके की प्राकृतिक खूबसूरती को बरकरार रखा जा सके।
शादियों के लिए भी लोकप्रिय
‘सैंड ड्यून्स विलेज’ में घूमने के लिए आने के साथ-साथ अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड व भारत के भी कई हिस्सों से लोगों में यहां आकर शादी करने का चलन भी बढ़ता जा रहा है।
70 से अधिक फिल्मों की शूटिंग
देशी-विदेशी सैलानियों के साथ-साथ बॉलीवुड को भी ‘सैंड ड्यून्स विलेज’ खींवसर अपना दीवाना बना रहा है। यहां अब तक 70 से ज्यादा फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है। सलमान खान, अक्षय कुमार, अनुपम खेर जैसे बड़े सितारे यहां ठहर चुके हैं। यहां पर ‘बंदिश बैंडिट्स’, ‘रंगीला राजा’, ‘चार दिन की चांदनी, ‘हॉलीडेज’ आदि फिल्मों की शूटिंग हुई है।
कैसे पहुंचें
खिमसर तक पहुंचना आसान है। दिल्ली से सड़क मार्ग के जरिए 8 घंटे में पहुंचा जा सकता है। निकटवर्ती एयरपोर्ट जोधपुर है, जो 95 किलोमीटर दूर है। वहां से टैक्सी के जरिए जोधपुर-बीकानेर हाईवे होते हुए आ सकते हैं। इसके अलावा निकटवर्ती रेलवे स्टेशन नागौर है, जो 40 किलोमीटर दूर है।