Edited By Jyoti,Updated: 11 Jul, 2022 12:06 PM
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श्रावण का मास 16 जुलाई से आरंभ हो रहा है। लगातार हम आपको अपनी वेबसाइट के जरिए इससे उसी जानकारी देते आ रहे हैं। इसी कड़ी में अब हम आपको बताने जा रहे हैं शिव जी के चमत्कारिक धाम के बारे में जिसके बारे में कहा जाता है कि जो लगभग साढ़े आठ सौ
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श्रावण का मास 16 जुलाई से आरंभ हो रहा है। लगातार हम आपको अपनी वेबसाइट के जरिए इससे उसी जानकारी देते आ रहे हैं। इसी कड़ी में अब हम आपको बताने जा रहे हैं शिव जी के चमत्कारिक धाम के बारे में जिसके बारे में कहा जाता है कि जो लगभग साढ़े आठ सौ साल पुराना है। मान्यता है यहां दर्शन करने मात्र से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं। बता दें श्रीराजेश्वर महादेव नाम से प्रसिद्ध ये मंदिर बहुत ही चमत्कारिक है। मान्यताओं के अनुसार राजाखेड़ा के एक साहूकार इस चमत्कारी शिवलिंग को नर्मदा नदी से लाए थे। शिव का ये अद्भुत धाम शमसाबाद रोड राजपुर चुंगी में स्थित है।
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इस मंदिर के बारें में कहा जाता है कि साहूकार शिवलिंग की स्थापना राजाखेड़ा में करना चाहते थे, लेकिन जब वो रात को आराम करने के लिए राजपुर चुंगी में रुके तो उन्हें सपने में शिवलिंग की स्थापना इस जगह करने का विचार आया। मगर आंख खुलते ही उन्होंने इस बात पर ध्यान नहीं दिया और अपने गंतव्य के लिए यहां से चलने लगे। और साहूकार जैसे ही शिवलिंग को बैलगाड़ी में ले जाने लगे तभी अचानक बैल वहीं रुक गए और शिवलिंग बैलगाड़ी से गिरकर जमीन पर स्थापित हो गया। साहूकार ने शिवलिंग को उठाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो इसमें नाकामयाब रहें। मंदिर के पुजारियों के अनुसार बहुत से लोगों ने शिवलिंग को उस जगह से हटाने की कोशिश की। लेकिन सभी इसमें नाकामयाब साबित हुए। शिव की इस महिमा को देखने के बाद राजा ने इस स्थान पर ही मंदिर का निर्माण कराया।
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इस शिवलिंग की हैरान करने वाली बात ये है कि राजेश्वर महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है। सुबह की आरती के समय शिवलिंग का रंग सफेद होता है। शिव के इस स्वरूप के दर्शन करने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है। तो वहीं दोपहर की आरती के समय शिवलिंग का रंग बदलकर हल्का नीला हो जाता है। कहा जाता है इस समय भोलेनाथ के दर्शन करने से साक्षात शिव के दर्शन नीलकंठ के रूुप में होते हैं। इनके दर्शन से कष्टों का निवारण होता है।. और शाम को इस शिवलिंग का रंग शाम की आरती के समय गुलाबी हो जाता है। जो कि बहुत ही मनमोहक लगता है। इनके इस स्वरूप के दर्शन से व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है। सावन के पहले सोमवार से इस मंदिर में एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें लगभग 200 से 300 कांवड़िये जलाभिषेक के लिए पहुंचते है। सावन में मंदिर के कपाट भक्तों के लिए 4 बजे ही खुल जाते हैं जो कि रात साढ़े दस बजे तक खुले रहते हैं। मान्यता है इस शिव धाम में मत्था टेकने वाले कभी भी खाली हाथ नहीं जाते हैं। उनकी झोली हमेशा खुशियों से भरी रहती है।
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