Raksha Bandhan Katha: जानें, कहां से हुई थी रक्षा बंधन की शुरुआत

Edited By Prachi Sharma,Updated: 18 Aug, 2024 11:07 AM

raksha bandhan katha

रक्षाबंधन का पर्व भारतीय धर्म-संस्कृति के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रक्षाबंधन का अर्थ है सुरक्षा का बंधन। यह

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Raksha Bandhan Katha: रक्षाबंधन का पर्व भारतीय धर्म-संस्कृति के अनुसार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रक्षाबंधन का अर्थ है सुरक्षा का बंधन। यह त्यौहार भाई-बहन के अटूट प्रेम को दर्शाता है।

इस दिन बहनें थाली सजाकर भाइयों की आरती उतारती हैं और उनकी कलाई पर राखी बांधकर लम्बी उम्र, स्वस्थ जीवन तथा सफलता की कामना करती हैं। वहीं भाई बहनों की रक्षा करने और हर समय उनकी मदद करने का वचन देते हैं। मान्यता है कि इस उत्सव की शुरूआत सतयुग में हुई थी। मां लक्ष्मी ने राजा बलि को रक्षासूत्र बांधकर इस परम्परा की शुरूआत की थी। राजा बलि का दान धर्म इतिहास में सबसे महान है।

PunjabKesari Raksha Bandhan Katha

उन्होंने एक बार यज्ञ किया तब भगवान विष्णु ने वामनावतार लेकर दानवीर राजा बलि से तीन पग जमीन मांग ली। राजा बलि के हां कहने पर वामनावतार ने 2 पग से सारी जमीन व आकाश नाप लिया तीसरे पग के लिए राजा बलि ने अपना शीश उनके सामने झुका दिया।

राजा बलि की दान वीरता देखकर वामन देव प्रसन्न हुए और उसे पाताल लोक का राजा बना कर वहीं रहने का आदेश दिया। तब राजा बलि ने प्रभु से कहा कि आप भी मेरे साथ पाताल में ही रहो। भक्त की बात मान कर वह बैकुंठ छोड़कर पाताल में चले गए।  विष्णु जी को अपने पास वापस लाने के लिए मां लक्ष्मी ने गरीब महिला की तरह बलि के पास जाकर उसे राखी बांध दी। बलि ने कहा कि मेरे पास तो आपको देने के लिए कुछ भी नहीं है।

तब देवी लक्ष्मी अपने असली रूप में आ गईं और कहा कि आपके पास साक्षात श्रीहरि हैैं, वही मुझे चाहिए।

PunjabKesari Raksha Bandhan Katha

इसके बाद राजा बलि ने विष्णु जी को जाने दिया। जाते समय विष्णु जी ने बलि को वरदान दिया कि वह हर साल 4 महीने पाताल में उनके पास रहेंगे। यही चार माह चातुर्मास कहे जाते हैं। 

एक अन्य कथा के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने जब सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया, तब सुदर्शन चक्र से उनकी उंगली से खून बहने लगा। तब द्रौपदी ने श्री कृष्ण की उंगली पर साड़ी का पल्लू बांधा। इसके बदले में ही कौरवों द्वारा चीरहरण के समय द्रौपदी की श्री कृष्ण ने लाज बचाई थी।

एक कथा यमुना और यमराज की भी है। यमुना मृत्यु के देवता यमराज को भाई मानती थीं। एक बार यमुना ने अपने छोटे भाई यमराज को लम्बी उम्र देने के लिए रक्षा सूत्र बांधा था। इसके बदले यमराज ने यमुना को कभी न मरने का वरदान दिया था। मान्यता है कि जो भाई रक्षाबंधन के दिन अपनी बहन से राखी बंधवाते हैं, यमराज उनकी रक्षा करते हैं।  

PunjabKesari Raksha Bandhan Katha

Related Story

    Trending Topics

    Afghanistan

    134/10

    20.0

    India

    181/8

    20.0

    India win by 47 runs

    RR 6.70
    img title
    img title

    Be on the top of everything happening around the world.

    Try Premium Service.

    Subscribe Now!