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Raksha Bandhan Muhurat 2024- रक्षा बंधन पर फिर भद्रा का साया, जानिए राखी बांधने का शुभ समय

Edited By Prachi Sharma,Updated: 25 Jul, 2024 03:13 PM

पिछले साल रक्षा बंधन का त्यौहार 30 अगस्त को था और इस दिन प्रदोष काल में भी भद्रा का साया होने के कारण रक्षा बंधन का मुहूर्त रात 9 बजे के बाद ही निकला था। 2022 में भी यही स्थिति

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Raksha Bandhan Muhurat 2024: पिछले साल रक्षा बंधन का त्यौहार 30 अगस्त को था और इस दिन प्रदोष काल में भी भद्रा का साया होने के कारण रक्षा बंधन का मुहूर्त रात 9 बजे के बाद ही निकला था। 2022 में भी यही स्थिति रही थी। रक्षा बंधन का मुहूर्त रात के समय ही निकला था और 2022 में 11 अगस्त को भी रक्षा बंधन का मुहूर्त रात 8 बजकर 51 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 13 मिनट तक महज 22 मिनट के लिए था। जिस कारण महिलाओं को भारी परेशानी हुई थी। ख़ास तौर पर उन महिलाओं को बहुत परेशानी हुई जिनके दो भाई हैं और उन्हें दोनों भाइयों के घर राखी बांधने जाना था लेकिन राखी का मुहूर्त बहुत कम समय के लिए निकला था।  

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Raksha Bandhan Muhurat 2024- रक्षा बंधन पर फिर भद्रा का साया, जानिए राखी बांधने का शुभ समय

अब बात करते हैं इस साल के राखी के मुहूर्त की-
इस साल राखी का त्यौहार 19 अगस्त को आ रहा है। इस बार पूर्णिमा तिथि की शुरुआत सुबह 3 बजकर 4 मिनट पर ही हो रही है और 19 अगस्त रात्रि 11 बज कर 55 मिनट तक पूर्णिमा तिथि ही रहेगी। हालांकि पूर्णिमा तिथि की शुरुआत होते ही भद्रा की व्याप्ति पाताल में रहेगी और भद्रा दोपहर 1 बज कर 31 मिनट पर समाप्त होगी। लिहाजा इस साल पूर्णिमा के दिन सुबह राखी नहीं बांधी जा सकेगी और पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू आदि क्षेत्रों में राखी बांधने का मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 48 मिनट से लेकर बाद दोपहर 4 बजकर 25 मिनट तक रहेगा।

हालांकि पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू में भद्रा के अशुभ समय का विचार करने की परंपरा नहीं है और अक्सर इन क्षेत्रों में पूर्णिमा के दिन सुबह ही भद्रा लगी होने के बावजूद राखी बांधने का शुभ कार्य करते हैं लेकिन यह शास्त्र सम्मत नहीं है। शास्त्रों ने भद्रा काल के समय को शुभ कार्यों के लिए अशुभ माना है और शास्त्रों में भद्रा काल में शुभ कार्यों को करने की मनाही की गई है। लेकिन इसके बावजूद यदि किसी को विशेष परिस्थियों में भद्रा के दौरान भी शुभ कार्य करना पड़ जाए तो भद्रा मुख काल को छोड़ कर भद्रा पुछ काल के दौरान रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया जा सकता है। भविष्य पुराण में बताया गया है कि भुद्रा पूंछ काल में किए गए शुभ कार्यों में सिद्धि एवं विजय प्राप्त होती है जबकि भद्रा मुख में किए गए कार्य का नाश होता है।  

भद्रा पूंछ काल को छोड़ कर शेष सारी भद्रा अशुभ मानी गई है लिहाजा इस सारे समय का त्याग करना चाहिए। यदि किसी को फ़ौज की ड्यूटी अथवा किसी डाक्टर को एमरजेंसी इलाज के लिए जाना हो तो, 19 अगस्त को सुबह 9 बजकर 51 मिनट से लेकर 10 बज कर 54 मिनट तक के भद्रा पूंछ काल के समय में राखी बांधी जा सकती है। लेकिन सुबह 10 बज कर 54 मिनट से लेकर 12 बज कर 38 मिनट तक के भद्रा मुख के काल का विशेष रूप से त्याग करना चाहिए।

भद्रा ग्रहों के राजा सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया की संतान हैं, भद्रा शनि देव की बहन हैं।  पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा स्वभाव से बहुत ही आक्रामक और हर समय उथल-पुथल करने वाली हैं। कहते हैं कि असुरों के वध के लिए भद्रा का जन्म हुआ था लेकिन कहा जाता है कि उपद्रवी स्वभाव की होने के कारण उन्होंने  हवन, यज्ञ और अन्य मांगलिक कार्यों में बाधा पहुंचाना शुरू कर दिया। भद्रा के स्वभाव के कारण उनके पिता सूर्य देव भी बहुत चिंतित थे।  उन्होंने ब्रह्म देव से भद्रा के बारे में बात की, ब्रह्म देव ने भद्रा को समझाया और कहा कि तुम्हारे लिए एक समय तय किया जाता है, उस समय में ही तुम्हारा वास होगा। तुम पाताल, स्वर्ग और पृथ्वी लोक पर वास करोगी। उस समय में जब कोई शुभ कार्य करेगा तो तुम उसमें विघ्न-बाधा डालना। ब्रह्म देव ने भद्रा को बव, बालव आदि करणों के बाद निवास का स्थान दिया। ब्रह्म देव के सुझाव के बाद पंचांग में भद्रा का एक निश्चित समय तय हो गया। पंचांग में जब विष्टि करण होता है तो वह भद्रा काल होता है। इस प्रकार से भद्रा की उत्पत्ति हुई। पृथ्वी लोक की भद्रा हानिकारक मानी जाती है जबकि स्वर्ग और पाताल की भद्रा का दुष्प्रभाव पृथ्वी लोक पर नहीं माना जाता है। लोक मान्यता है कि रावण की बहन ने उसे भद्रा में राखी बांधी थी तो उसका सब कुछ खत्म हो गया।

इसके अलावा प्रदोष काल का मुहूर्त शाम 6 बजकर 56 मिनट से लेकर रात 9 बज कर 8 मिनट तक रहेगा चूंकि पूर्णिमा तिथि रात 11 बज कर 55 मिनट तक रहेगी। लिहाजा यदि आप चाहें तो शाम के समय 2 घण्टे 12 मिनट के इस मुहूर्त का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

नरेश कुमार
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