Edited By Niyati Bhandari,Updated: 08 Aug, 2020 09:39 AM
3 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार था। बहनों ने भाई की कलाई पर रेशम की डोर बांध कर रक्षा का वचन लिया। कई बार कुछ मजबूरियों के चलते बहन अपने हाथों से भाई को राखी नहीं बांध पाती।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Raksha Panchami 2020: 3 अगस्त को रक्षाबंधन का त्योहार था। बहनों ने भाई की कलाई पर रेशम की डोर बांध कर रक्षा का वचन लिया। कई बार कुछ मजबूरियों के चलते बहन अपने हाथों से भाई को राखी नहीं बांध पाती। प्रत्येक वर्ष भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की पंचमी को रक्षा पंचमी का पर्व आता है। इसे शांति पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। कहते हैं जो भाई या बहन रक्षाबंधन पर राखी की रस्म नहीं निभा पाए वो आज के दिन भी राखी बांध सकते हैं।
भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं - ‘मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव’
अर्थात- ‘सूत्र’ न बिखरने का प्रतीक हैं। सूत्र इधर-उधर फैले हुए मोतियों को माला में पिरोकर एक करते हैं। उसी तरह रक्षासूत्र भी
रिश्तों को जोड़ कर एक करके रखता है।
रक्षा पंचमी पर गणेश जी के हरिद्रा रूप की पूजा किए जाने का विधान है। ये पूजा दूर्वा और सरसों के तेल से होती है। हरिद्रा का अर्थ है हल्दी। मान्यता है की आज के दिन जो व्यक्ति गणेश जी के हरिद्रा रूप की पूजा करता है, उसके सभी शत्रुओं का नाश हो जाता है। हरिद्रा का अर्थ है हल्दी। ये सनातन संस्कृति में लगभग सभी शुभ व मंगल कामों में प्रयोग होती है क्योंकि ये सुख-सौभाग्य देती है। आयुर्वेद के अनुसार हल्दी सबसे बड़ा एंटीबायोटिक है, जो बहुत सारे रोगों का नाश करता है।
आज के दिन गोगा पंचमी का पर्व भी मनाया जाता है। इस रोज़ गोगा देव और नागदेवता की पूजा होती है। इन पर दूध, पानी, रोली व चावल चढ़ा कर हर मां अपनी संतान की लंबी उम्र और स्वास्थ्य की कामना करती हैं।