आइए मिलें, ऐसे योगी से जिन्होंने स्वामी विवेकानंद को ईश्वर के दर्शन कराए

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 11 Mar, 2020 08:47 AM

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राम कृष्ण परमहंस जी एक महान विचारक थे। इन्होंने सभी धर्मों को एक बताया। उनका मानना था कि सभी धर्मों का आधार प्रेम, न्याय और परहित ही है। राम कृष्ण जी ने कई सिद्धियों को प्राप्त किया।

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राम कृष्ण परमहंस जी एक महान विचारक थे। इन्होंने सभी धर्मों को एक बताया। उनका मानना था कि सभी धर्मों का आधार प्रेम, न्याय और परहित ही है। राम कृष्ण जी ने कई सिद्धियों को प्राप्त किया। अपनी इंद्रियों को अपने वश में किया और एक महान विचारक एवं उपदेशक के रूप में कई लोगों को प्रेरित किया। उन्होंने निराकार ईश्वर की उपासना पर जोर दिया और मूर्ति पूजा को व्यर्थ बताया। स्वामी विवेकानंद जी इनके विचारों से प्रेरित थे, इसी कारण विवेकानंद जी ने इन्हें अपना गुरु माना। परमहंस जी के ज्ञान के प्रकाश के कारण ही नरेंद्र नामक साधारण बालक, जोकि अध्यात्म से बहुत दूर तर्क में विश्वास रखते थे, ने अध्यात्म का ज्ञान पाया। ईश्वर की शक्ति से साक्षात्कार किया और नरेंद्र से स्वामी विवेकानंद बन गए।

परमहंस जी ने राष्ट्र को एक ऐसा पुत्र दिया जिसने राष्ट्र को सीमा के परे सम्मान दिलाया। जिसने युवावर्ग को जगाया। रामकृष्ण मिशन की स्थापना कर देश जागरूकता का अभियान चलाया और अपने गुरु को गौरव और इनके विचारों को पूरी दुनिया में फैलाया। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार राम कृष्ण परमहंस जी का जन्म 18 फरवरी सन 1836 (फाल्गुन द्वितीय तिथि शुक्ल पक्ष विक्रम संवत 1822) को हुआ था।

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जीवन परिचय व इतिहास 
बाल्यकाय में इन्हें लोग गदाधर के नाम से जानते थे। यह एक ब्राह्मण परिवार से थे। इनका परिवार बहुत गरीब था लेकिन इनमें आस्था, सद्भावना एवं धर्म के प्रति अपार श्रद्धा एवं प्रेम था। रामकृष्ण परमहंस जी देवी काली के प्रचंड भक्त थे। उन्होंने अपने आपको देवी काली को समर्पित कर दिया था। उनके विचारों पर उनके पिता की छाया थी। उनके पिता धर्मपरायण सरल स्वभाव के व्यक्ति थे। यही सारे गुण राम कृष्ण परमहंस जी में भी व्याप्त थे। उन्होंने परमहंस की उपाधि प्राप्त की और मनुष्य जाति को अध्यात्म का ज्ञान दिया। राम कृष्ण परमहंस जी को गले का रोग हो जाने के कारण 15 अगस्त 1886 को उन्होंने अपने शरीर को छोड़ दिया और मृत्यु को प्राप्त हुए।

रामकृष्ण जी के परमहंस की उपाधि प्राप्त करने के पीछे कई कहानियां हैं। परमहंस एक उपाधि है, यह उन्हीं को मिलती है जिनमें अपनी इंद्रियों को वश में करने की शक्ति हो, जिनमें असीम ज्ञान हो। यही उपाधि रामकृष्ण जी को प्राप्त हुई और वह रामकृष्ण परमहंस कहलाए। रामकृष्ण एक प्रचंड काली भक्त थे जो मां काली  से एक पुत्र की भांति जुड़े हुए थे। जिनसे उन्हें अलग कर पाना नामुमकिन था। जब रामकृष्ण माता काली के ध्यान में जाते और उनके संपर्क में रहते तो वे नाचने लगते, गाने लगते और झूम-झूम कर अपने उत्साह को दिखाते लेकिन जैसे ही संपर्क टूटता वह एक बच्चे की तरह विलाप करने और धरती पर लोटने लगते। उनकी इस भक्ति के चर्चे सभी जगह थे संत तोता राम जी ने रामकृष्ण जी को अपनी इंद्रियों पर नियंत्रण करना सिखाया।

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अनमोल वचन 

  • खराब आईने में जैसे सूर्य की छवि दिखाई नहीं पड़ती, वैसे ही खराब मन में भगवान की मूर्त नहीं बनती।
  • धर्म सभी समान हैं। वे सभी ईश्वर प्राप्ति का रास्ता दिखाते हैं।
  • अगर मार्ग में कोई दुविधा न आए तब समझना कि राह गलत है।
  • विषयी ज्ञान मनुष्य की बुद्धि को सीमा में बांध देता है और उन्हें अभिमानी भी बनाता है।
  • राम कृष्ण परमहंस के कई ऐसे अनमोल वचन हैं जो मनुष्य को जीवन का सही मार्ग दिखाते हैं। 

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