Edited By Niyati Bhandari,Updated: 17 Apr, 2024 07:56 AM
चैत्र मास शुक्ल पक्ष की नवमी को भगवान श्री राम का अवतार हुआ। अत: जो व्यक्ति रामनवमी का व्रत करता है, उसके जन्म
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Ram Navami 2024: चैत्र मास शुक्ल पक्ष की नवमी को भगवान श्री राम का अवतार हुआ। अत: जो व्यक्ति रामनवमी का व्रत करता है, उसके जन्म के पाप भस्मीभूत हो जाते हैं। रामनवमी व्रत से भक्ति व मुक्ति दोनों ही सिद्धि होती हैं।
Ram Navami Fast: कैसे रखें व्रत?
रामनवमी के दिन प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर अपने घर की उत्तर दिशा या ईशान कोण में एक सुंदर मंडप बना लें। भगवान श्री राम परिवार अथवा राम दरबार की मूर्ति, प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। हनुमान जी को विराजमान करें। फिर इस मंडप में विराजमान सीता, राम ,लक्ष्मण, हनुमान जी का विविध उपचारों (जल, पुष्प, गंगा जल, वस्त्र, अक्षत, कुमकुम) आदि से यथाशक्ति पूजन करें। फिर भगवान की आरती करें। उसके बाद शुद्ध पात्र में कपूर तथा घी की बत्ती जलाकर श्री सीता राम जी की आरती उतारनी चाहिए।
Ram Navami Fasting Rules: इन बातों का रखें विशेष ध्यान
श्री राम जी की पूजा से पूर्व हनुमान जी की पूजा जरूर करें। हनुमान जी को सिंदूर व चमेली के तेल चढ़ाएं। चांदी का वर्क अथवा चमकीले पन्ने का वस्त्र उनको चढ़ता है,जरूर चढ़ाएं।
भगवान राम को सीताफल अत्यंत प्रिय है। इसे प्रसाद स्वरूप चढ़ाएं । मावे से बनी मिठाई भोग (नैवेद्य) में अर्पित करें।
भगवान श्री राम को रक्त कमल पसंद है, रक्त कमल के अभाव में रक्त पुष्प (लाल रंग के पुष्पों) से श्री राम का पूजन करें।
जिन महिलाओं को सौभाग्य व सुंदर पति की कामना है, वे सीता जी का सौभाग्य द्रव्य (सिंदूर, चूड़िया आभूषण) आदि से पूजन करें व सौभाग्य की कामना करें।
तीर्थ जल से अथवा गंगा जल से श्री राम का अभिषेक करें। गंगा जल या अन्य किसी भी तीर्थ जल से प्रतिमा या फ्रेम की हुई तस्वीर को साफ करें तथा कुमकुम और चावल आदि चढ़ाएं।
Sri Rama Navami Vratham क्या खाएं व क्या न खाएं?
व्रत मीमांसा में साफ कहा गया है कि अपने ईष्ट या अपने आराध्य को प्रसन्न करने के लिए की जाने वाली तपस्या, तप को व्रत का नाम दिया गया है।
रामनवमी का व्रत निराहार (अन्न के बिना) करने का विधान है। इस दिन अन्न त्याग कर, भगवान राम की पूजा, पाठ, मंत्र स्रोत का पाठ करें। फल, दूध आदि का सेवन कर सकते हैं।
वृद्ध एवं अशक्त लोग एक समय भोजन (अन्न ग्रहण करके भी व्रत कर सकते हैं। एक समय भोजन करने वाले व्रत में भी फलाहार (फल, दूध वगैरह) ग्रहण किया जा सकता है।
आमतौर पर यह भी देखा गया है कि व्रत वाले दिन लोग फलाहार, भोजन से भी अधिक करते हैं। जो भी खाएं जरूरी है कि सीमा में रहें क्योंकि यह अपने ईष्ट आराध्य को प्रसन्न करने के लिए किया गया तप है।