Ram Navami : रामनवमी पर अद्भुत संयोग एक साथ बरसेगा दिव्य शक्तियों का आशीर्वाद

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 05 Apr, 2025 04:32 PM

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Ram Navami 2025: रामनवमी का त्योहार भगवान राम को समर्पित है और इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा भी की जाती है। दरअसल, राम नवमी का त्योहार भगवान राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। भगवान राम जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु के...

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Ram Navami 2025: रामनवमी का त्योहार भगवान राम को समर्पित है और इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा भी की जाती है। दरअसल, राम नवमी का त्योहार भगवान राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। भगवान राम जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु के सातवें अवतार हैं और लोगों के मन में भी भगवान राम के प्रति अटूट श्रद्धा है। इस बार राम नवमी का त्योहार 6 अप्रैल, रविवार को मनाया जाएगा। रामनवमी का त्योहार भगवान राम को समर्पित है और इस दिन मां दुर्गा के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा भी की जाती है। दरअसल राम नवमी का त्योहार भगवान राम के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। भगवान राम जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु के सातवें अवतार हैं और लोगों के मन में भी भगवान राम के प्रति अटूट श्रद्धा है। साथ ही यह दिन श्रीराम की भक्ति के लिए बहुत ही अच्छा माना जाता है।

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श्री राम नवमी ?
हिंदू पंचांग के अनुसार, भगवान राम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था इसलिए हर साल चैत्र माह की नवमी तिथि को राम नवमी मनाई जाती है। इस दिन मध्य दोपहर में भगवान राम का जन्म कर्क लग्न और पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था। इस साल रामनवमी 6 अप्रैल 2025, रविवार को मनाई जाएगी।

राम नवमी शुभ मुहूर्त
इस बार नवमी तिथि 5 अप्रैल को शाम 7 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी और तिथि का समापन 6 अप्रैल को शाम 7 बजकर 22 मिनट पर होगा।

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राम नवमी पूजा मुहूर्त- 6 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 08 मिनट से दोपहर 1 बजकर 29 मिनट तक भगवान राम की पूजा का बहुत ही शुभ मुहूर्त है।

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भगवान श्रीराम का चैत्र नवरात्र से संबंध
ऐसी मान्यताएं है कि चैत्र नवरात्र के नौवें दिन ही भगवान राम का जन्म हुआ था इसलिए इसे रामनवमी भी कहा जाता है। भगवान राम मध्य दोपहर में कर्क लग्न और पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे थे इसलिए रामनवमी पर मध्य दोपहर में भगवान राम की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

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राम नवमी पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नानादि करें। इसके बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। इसके बाद घर के मंदिर की साफ-सफाई करके पूजन की तैयारी करें। उसके बाद एक चौकी लें उस पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं और वहां पर भगवान राम का चित्र या मूर्ति स्थापित करें। ध्यान रहे कि भगवान राम का चित्र परिवार सहित हो। इसके बाद भगवान राम के चित्र या मूर्ति को गंगा जल से स्नान कराएं, फिर तिलक लगाएं, उन्हें अक्षत अर्पित करें और पुष्प चढ़ाएं।

उसके बाद भगवान राम का ध्यान करें और ध्यान करने के बाद भगवान राम के पूरे परिवार का भी पूजन करें। अंत में भगवान राम की आरती करें। आरती करने के बाद श्रीराम जय राम जय जय राम- इस विजय मंत्र का कीर्तन कम से कम 15 मिनट तक करें। फिर भगवान राम को प्रणाम करें और उन्हें फल या मिठाई का भोग लगाएं।

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आखिर क्यों दोपहर में ही भगवान राम की पूजा की जाती है
ऐसी मान्यता है कि भगवान राम का जन्म दोपहर के समय ठीक 12 बजे हुआ था इसलिए इस दिन दोपहर के समय पूजन करना भी शुभ माना जाता है।

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विपत्ति में रक्षा हेतु मंत्र
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। 
सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।।

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मुक्ति और प्रभु प्रेम हेतु मंत्र
नाम पाहरु दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट।
लोचन निजपद जंत्रित जाहि प्राण केहि बाट।।

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सुखी जीवन पर खास पूजा
राम नवमी पर प्रात:काल में स्नान कर पीले वस्त्र पहनें। लाल कपड़े बिछाकर सीता राम जी की तस्वीर रखें। शुद्ध घी या तिल के तेल का दीपक जलाएं, साथ ही चंदन की अगरबत्ती जलाएं। गुलाब, फूल, माला और गुलाब पुष्प चढ़ाएं। सफेद मिठाई और कोई सफ़ेद फल चढ़ाएं। इस मंत्र ॐ रामाय नमः। ॐ श्रीं रामाय नमः । ॐ क्लीं रामाय नमः का जाप करें।

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नवमी वाले दिन हवन के शुभ मुहूर्त 
ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4.34 से 5.20 तक
प्रात: संध्या : सुबह 4.57 से 6.05 तक 
अभिजित मुहूर्त : सुबह 11.58 से दोपहर 12.49 तक
विजय मुहूर्त : दोपहर 2.30 से शाम 3.20 तक

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श्रीराम नवमी कथा
श्री राम नवमी की कहानी लंका के राजा 'रावण' से शुरू होती है। उसके शासन में लोग आतंकित थे और उससे मुक्ति पाना चाहते थे।रावण ने भगवान ब्रह्मा से ऐसी शक्ति प्राप्त की थी कि वह कभी भी देवताओं या यक्षों के हाथों नहीं मारा जाएगा। वह सबसे शक्तिशाली था इसलिए इस आतंक के कारण सभी देवता मदद के लिए भगवान विष्णु के पास गए। इस प्रकार राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया। तब से इस दिन को श्रीरामनवमी के रूप में मनाया जाता है। साथ ही चैत्र शुक्ल नवमी को ही तुलसीदास ने रामचरितमानस लिखना शुरू किया था। 

आचार्य पंडित सुधांशु तिवारी 
प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ ज्योतिषाचार्य 
सम्पर्क सूत्र:- 9005804317, 7054594317

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