Edited By Niyati Bhandari,Updated: 26 Apr, 2023 07:49 AM
![ramanujan death anniversary](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2023_4image_07_46_481724001ramanujandeathanniversa-ll.jpg)
श्रीनिवास रामनुजन ऐसे महापुरुषों में से एक थे, जिनके पास न तो धन था और न ही कोई सुख-सुविधा, परन्तु अपने ज्ञान से उन्होंने विश्व के महानतम गणितज्ञों को आश्चर्यचकित कर दिया।
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Srinivasa Ramanujan Death Anniversary: श्रीनिवास रामनुजन ऐसे महापुरुषों में से एक थे, जिनके पास न तो धन था और न ही कोई सुख-सुविधा, परन्तु अपने ज्ञान से उन्होंने विश्व के महानतम गणितज्ञों को आश्चर्यचकित कर दिया। आज भी उनके गणितीय सूत्र नवीन अनुसंधानों के लिए उपयोग किए जाते हैं।
13 की उम्र में हल की ट्रिगनोमिट्री
22 दिसम्बर, 1887 में तमिलनाडु के इरोदे नामक स्थान पर महान गणितज्ञ ‘श्रीनिवास रामानुजन’ का जन्म हुआ था। इनके पिता कपड़े की एक दुकान पर एक छोटे-से क्लर्क थे। धन के अभाव में उचित शिक्षा की सुविधाएं इन्हें नहीं मिल पाईं। जब वह केवल 13 वर्ष के थे, तभी उन्होंने एस.एल. लोनी द्वारा रचित विश्व प्रसिद्ध ट्रिगनोमिट्री की किताब को हल कर डाला था। इतना ही नहीं, मात्र 15 वर्ष में उन्हें जार्ज शूब्रिज कार द्वारा रचित गणित की एक प्रसिद्ध पुस्तक ‘सयनोपोसिस ऑफ एलिमैंट्री रिजल्ट्स इन प्योर एंड एप्लायड मैथमैटिक्स’ प्राप्त हुई। इसमें लगभग 6 हजार प्रमेयों (थिअरम) का संकलन था। उन्होंने इन सभी को सिद्ध करके देखा और इन्हीं के आधार पर नए थिअरम भी विकसित किए।
![PunjabKesari Ramanujan Death Anniversary](https://static.punjabkesari.in/multimedia/07_48_027839074ramanujan--1.jpg)
1100 रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें
जब अन्य विषयों में पास न हो सके
सन् 1903 में उन्होंने मद्रास विश्वविद्यालय से छात्रवृत्ति प्राप्त की लेकिन अगले वर्ष ही यह छात्रवृत्ति उनसे छीन ली गई क्योंकि वह दूसरे विषयों में पास न हो पाए। इसका कारण था कि वह गणित को ही अधिक समय देते थे और इस कारण अन्य विषय उपेक्षित रह जाते थे।
उनके परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने से उनके पिता को गहरा धक्का लगा। जब उनके पिता ने देखा कि यह लड़का सदा ही संख्याओं से खिलवाड़ करता रहता है तो उन्होंने सोचा कि शायद यह पागल हो गया है। उसे ठीक करने के लिए पिता ने रामानुजन की शादी करने का निश्चय किया और जो लड़की उनके लिए पत्नी के रूप में चुनी गई, वह थी एक 8 वर्षीय कन्या जानकी। इसके पश्चात उन्हें नौकरी की तलाश थी। बहुत प्रयास करने पर उन्हें मुश्किल से 25 रुपए महीने की क्लर्क की नौकरी मिली। अंत में कुछ अध्यापकों और शिक्षा-शास्त्रियों ने उनके कार्य से प्रभावित होकर उन्हें छात्रवृत्ति देने का फैसला किया और मई 1913 को मद्रास विश्वविद्यालय ने उन्हें 75 रुपए महीने की छात्रवृत्ति प्रदान की।
![PunjabKesari Ramanujan Death Anniversary](https://static.punjabkesari.in/multimedia/07_48_075504868ramanujan--2.jpg)
प्रो. हार्डी ने पहचानी प्रतिभा
इन्हीं दिनों रामानुजन ने अपने शोध कार्यों से संबंधित एक महत्वपूर्ण पत्र कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के विख्यात गणितज्ञ जी.एच. हार्डी को लिखा। इस पत्र में उन्होंने अपने 120 थिअरम प्रो. हार्डी को भेजे थे। हार्डी और उनके सहयोगियों को इस कार्य की गहराई परखने में देर न लगी। उनकी मदद से 17 मार्च, 1914 को रामनुजन ब्रिटेन के लिए समुद्री जहाज द्वारा रवाना हो गए।
उन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में अपने आपको एक अजनबी की तरह महसूस किया। तमाम कठिनाइयों के बावजूद भी वे गणित के अनुसंधान कार्यों में लगे रहे। प्रो. हार्डी ने उनमें एक अभूतपूर्व प्रतिभा देखी। उन्होंने संख्याओं से संबंधित अनेक कार्य किए।
इंगलैड में मिले कई सम्मान
उनके कार्यों के लिए 28 फरवरी, 1918 को उन्हें रॉयल सोसाइटी का फैलो घोषित किया गया। यह सम्मान पाने वाले वह दूसरे भारतीय थे। फिर उन्हें ट्रिनिटी कॉलेज का फैलो चुना गया। इस सम्मान को पाने वाले वह पहले भारतीय थे।
![PunjabKesari Ramanujan Death Anniversary](https://static.punjabkesari.in/multimedia/07_48_131590729ramanujan--3.jpg)
अल्पायु में चल बसे
जब रामानुजन इंगलैंड में अपने अनुसंधान कार्यों में लगे हुए थे, तभी उन्हें टी.बी. का रोग हो गया। इसके बाद उन्हें भारत वापस भेज दिया गया। इस अवधि में भी वह अंकों के साथ कुछ न कुछ खिलवाड़ करते रहते थे। अंतत: 26 अप्रैल, 1920 को मात्र 33 वर्ष की अल्पायु में ही भारत के इस महान गणितज्ञ का मद्रास के चैटपैट नामक स्थान पर देहांत हो गया।
‘रामानुजन पुरस्कार’ की स्थापना
उनकी याद में ही भारत में गणित के लिए ‘रामानुजन पुरस्कार’ की स्थापना की गई और रामानुजन इंस्टीच्यूट बनाया गया।
![PunjabKesari kundli](https://static.punjabkesari.in/multimedia/07_20_068027804image-4.jpg)