Ramayan: विदेश जाने के चाहवान, गांठ बांध ले श्री राम की ये बात

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 15 Mar, 2025 08:00 AM

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Ramayan: वर्तमान समय में न केवल युवा बल्कि हर वर्ग के लोग विदेश जाकर बसने की इच्छा रखते हैं। वहां का आकर्षण चुंबक की तरह उन्हें अपने मोहपाश में बांध लेता है। आप भी विदेश जाने के चाहवान हैं तो गांठ बांध ले श्री राम की ये बात-

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Ramayan: वर्तमान समय में न केवल युवा बल्कि हर वर्ग के लोग विदेश जाकर बसने की इच्छा रखते हैं। वहां का आकर्षण चुंबक की तरह उन्हें अपने मोहपाश में बांध लेता है। आप भी विदेश जाने के चाहवान हैं तो गांठ बांध ले श्री राम की ये बात-

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भगवान श्री राम ने लक्ष्मण जी को आदेश दिया कि लंका जाकर विभीषण का राजतिलक सम्पन्न कराओ। लक्ष्मण लंका पहुंचे तो स्वर्ण नगरी की अनूठी शोभा तथा चमक-दमक ने उन्हें मोह लिया। लंका की वाटिका के तरह-तरह के सुगंधित पुष्पों को वह काफी समय निहारते रहे। विभीषण का विधिपूर्वक राजतिलक सम्पन्न कराने के बाद वे श्री राम के पास लौट आए। 

उन्होंने श्री राम के चरण दबाते हुए कहा, ‘‘महाराज लंका तो अत्यंत दिव्य सुंदर नगरी है। मन चाहता है कि मैं कुछ समय के लिए लंका में निवास करूं। आपकी आज्ञा की प्रतीक्षा है।’’

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लक्ष्मण का लंका नगरी के प्रति आकर्षण देखकर श्री राम बोले, ‘‘लक्ष्मण यह ठीक है कि लंका सचमुच स्वर्ग पुरी के समान आकर्षक है, प्राकृतिक सुषमा से भरपूर है, किंतु यह ध्यान रखना कि अपनी मातृभूमि अयोध्या तो तीनों लोकों से कहीं अधिक सुंदर है। जहां मानव जन्म लेता है, वहां की मिट्टी की सुगंध की किसी से तुलना नहीं की जा सकती है।’’

अपि स्वर्णमयी लंका न मे लक्ष्मण रोचते। जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।।

लक्ष्मण अपनी जन्मभूमि अयोध्या के महत्व को समझ गए। उन्होंने कहा, ‘‘प्रभु वास्तव में हमारी अयोध्या तीनों लोकों से न्यारी है।’’

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