रामेश्वरम ज्योतिर्लिंगः यहां जानें, भगवान राम द्वारा स्थापित ज्योतिर्लिंग की कथा

Edited By Lata,Updated: 05 Aug, 2019 10:38 AM

rameswaram jyotirlinga katha in hindi

कहते हैं कि अगर सावन के महीने में 12 ज्योतिर्लिंगों में से किसी एक भी दर्शन कर लिए जाएं तो व्यक्ति का भाग्य खुल जाता है।

ये नहीं देखा तो क्या देखा (Video)
कहते हैं कि अगर सावन के महीने में 12 ज्योतिर्लिंगों में से किसी एक भी दर्शन कर लिए जाएं तो व्यक्ति का भाग्य खुल जाता है। उसकी हर इच्छा भोलेनाथ पूरी कर देते हैं। जैसे कि हम आपको 12 ज्योतिर्लिंगों में से 10 की कथा व इतिहास के बारे में विस्तार से बात चुके हैं तो आज हम बात करेंगे 11 ज्योतिर्लिंग, जिसे रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना जाता है। 
PunjabKesari, kundli tv, Rameswaram Jyotirlinga
यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथ पुरं नामक स्थान में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के विषय में यह मान्यता है, कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी। भगवान राम के द्वारा स्थापित होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम का नाम रामेश्वरम दिया गया है। स्कंदपुराण में इसकी महिमा विस्तार से वर्णित है। ईइए जानते हैं पुराणों में वर्णित इसकी कथा के बारे में विस्तार से। 
नागेश्वर ज्योतिर्लिंगः कथा पढ़ने व सुनने से मिलेगी पापों से मुक्ति
पौराणिक मान्यता के अनुसार जब भगवान्‌ श्रीरामंद्रजी लंका पर चढ़ाई करने के लिए जा रहे थे तब इसी स्थान पर उन्होंने समुद्र की बालू से शिवलिंग बनाकर उसका पूजन किया था। ऐसा भी कहा जाता है कि इस स्थान पर ठहरकर भगवान राम जल पी रहे थे कि आकाशवाणी हुई कि मेरी पूजा किए बिना ही जल पीते हो? इस वाणी को सुनकर श्रीराम ने बालू से शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा की तथा भगवान शिव से रावण पर विजय प्राप्त करने का वर मांगा। तभी भोलेनाथ ने प्रसन्नता के साथ यह वर भगवान राम को दे दिया। भगवान शिव ने लोक-कल्याणार्थ ज्योतिर्लिंग के रूप में वहां निवास करने की सबकी प्रार्थना भी स्वीकार कर ली। तभी से यह ज्योतिर्लिंग यहां विराजमान है।  
PunjabKesari, kundli tv
इस ज्योतिर्लिंग के विषय में एक- दूसरी कथा इस प्रकार कही जाती है कि जब भगवान श्रीराम रावण का वध करके लौट रहे थे तब उन्होंने अपना पहला पड़ाव समुद्र के उस पार गन्धमादन पर्वत पर डाला था। वहां बहुत से ऋषि और मुनिगण श्रीराम दर्शन के लिए उनके पास आए। उन सभी का आदर-सत्कार करते हुए भगवान राम ने उनसे कहा कि पुलस्य के वंशज रावण का वध करने के कारण मुझ पर ब्रह्महत्या का पाप लग गया है, आप लोग मुझे इससे निवृत्ति का कोई उपाय बताइए। यह बात सुनकर वहां उपस्थित सारे ऋषियों-मुनियों ने एक स्वर से कहा कि आप यहां शिवलिंग की स्थापना कीजिए। इससे आप ब्रह्म हत्या के पाप से छुटकारा पा जाएंगे।
PunjabKesari, kundli t v, Rameswaram Jyotirlinga
भगवान राम ने उनकी यह बात स्वीकार कर हनुमान को कैलाश पर्वत जाकर वहां से शिवलिंग लाने का आदेश दिया। हनुमान जी तत्काल ही वहां जा पहुंचे किंतु उन्हें उस समय वहां भगवान शिव के दर्शन नहीं हुए। अतः वे उनका दर्शन प्राप्त करने के लिए वहीं बैठकर तपस्या करने लगे। कुछ काल पश्चात शिवजी के दर्शन प्राप्त कर हनुमान जी शिवलिंग लेकर लौटे किंतु तब तक शुभ मुहूर्त्त बीत जाने की आशंका से यहां सीता जी द्वारा लिंग की स्थापना का कार्य कराया जा चुका था। हनुमानजी को यह सब देखकर बहुत दुःख हुआ। उन्होंने अपनी व्यथा भगवान राम से कह सुनाई। भगवान ने पहले ही लिंग स्थापित किए जाने का कारण हनुमानजी को बताते हुए कहा कि यदि तुम चाहो तो इस लिंग को यहां से उखाड़कर हटा दो। हनुमानजी अत्यंत प्रसन्न होकर उस लिंग को उखाड़ने लगे, किंतु बहुत प्रत्यन करने पर भी वह टस-से मस नहीं हुआ। 
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंगः एक साथ करें ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश के दर्शन
PunjabKesari, kundli tv, Rameswaram Jyotirlinga
अंत में उन्होंने उस शिवलिंग को अपनी पूंछ में लपेटकर उखाड़ने का प्रयत्न किया, फिर भी वह ज्यों का त्यों अडिग बना रहा। उलटे हनुमानजी ही धक्का खाकर एक कोस दूर मूर्च्छित होकर जा गिरे। उनके शरीर से रक्त बहने लगा यह देखकर सभी लोग अत्यंत व्याकुल हो उठे। माता सीताजी पुत्र से भी प्यारे अपने हनुमान के शरीर पर हाथ फेरती हुई विलाप करने लगीं। मूर्च्छा दूर होने पर हनुमानजी ने भगवान श्रीराम को परम ब्रह्म के रूप में सामने देखा। भगवान ने उन्हें शंकरजी की महिमा बताकर उनका प्रबोध किया। हनुमानजी द्वारा लाए गए लिंग की स्थापना भी वहीं पास में करा दी।

Related Story

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!