Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Jun, 2022 11:44 AM
महारानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवम्बर, 1835 को काशी में हुआ था। इनका विवाह झांसी के राजा राव गंगाधर के साथ हुआ लेकिन वह शीघ्र ही स्वर्ग सिधार गए। 13 मार्च, 1854 को झांसी राज्य पर अंग्रेजों का
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Jhasi chi Rani Lakshmi Bai Death Anniversary 2022: महारानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवम्बर, 1835 को काशी में हुआ था। इनका विवाह झांसी के राजा राव गंगाधर के साथ हुआ लेकिन वह शीघ्र ही स्वर्ग सिधार गए। 13 मार्च, 1854 को झांसी राज्य पर अंग्रेजों का अधिकार हो गया और महारानी को अंग्रेजों द्वारा 5000 रुपया मासिक पैंशन की घोषणा कर दी गई। इससे महारानी के स्वाभिमान को गहरी चोट पहुंची। रानी ने पैंशन लेने से मना कर दिया और किराए के मकान में रह कर अंग्रेजों से बदले की तलाश में रहने लगीं। उधर मंगल पांडे ने सैनिक विद्रोह का श्रीगणेश कर दिया था और इधर नाना साहब व अजीमुल्ला खां ने 1857 की सशस्त्र क्रांति की योजना तैयार कर ली।
4 जून, 1857 को रानी ने अवसर पाकर झांसी को अंग्रेजों से मुक्त करा लिया और घोषणा करा दी, ‘‘खल्क खुदा का, मुल्क बादशाह का, हुक्म लक्ष्मीबाई का।’’
परंतु रानी को सदैव अपनों से धोखा मिला। पहले एक संबंधी ने आक्रमण किया, फिर ओरछा का दीवान 20,000 की सेना ले झांसी पर आ धमका। रानी ने दोनों को ही परास्त किया।
इसके तुरंत बाद ह्यूरोज अंग्रेज भारी सेना लेकर झांसी पर आ चढ़ा। रानी के विश्वासपात्रों दुल्हाजू व पीरअली ने किले में छिपे बारूद खाने का संकेत दुश्मन को दे दिया। शत्रु की तोपों ने बारूदखाने को उड़ा दिया।
रानी के अत्यंत विश्वासपात्र खुदाबख्श और गौसखां मारे गए। रानी किले से सुरक्षित बाहर निकलीं और 102 मील का सफर तय करके कालपी पहुंच गईं।
यहां तांत्या टोपे, राव साहब व बांदा के नवाब आदि से संपर्क साधा। ह्यूरोज भारी सेना लेकर यहां भी आ पहुंचा। यहां रानी का अंग्रेजों से घमासान युद्ध हुआ। रानी के शौर्य से शत्रु चकित हो उठा।
लड़ते-लड़ते रानी के सिर का दाहिना भाग व दाहिनी आंख अलग हो गई लेकिन वाह री अद्भुत शौर्य की मशाल, फिर भी वह तलवार चलाती रहीं और इसी मैदान में यह वीरांगना 18 जून, 1858 के दिन अमरत्व को प्राप्त हुईं।