Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 May, 2023 10:21 AM
सिंध नदी यमुना नदी की एक सहायक नदी है, जो मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्यों से होकर बहती है। सिंध के किनारे रतनगढ़ माता का मंदिर भी स्थित
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Ratangarh Mata Mandir: सिंध नदी यमुना नदी की एक सहायक नदी है, जो मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्यों से होकर बहती है। सिंध के किनारे रतनगढ़ माता का मंदिर भी स्थित है। जहां भाई-दूज के दिन हजारों भक्त माता के दर्शन करने आते हैं। देश में देवी मां के कई चमत्कारिक मंदिर हैं। इन्हीं में से एक है रतनगढ़वाली माता का मंदिर। यहां की मिट्टी और भभूत में बहुत शक्ति है। मान्यता है जो कोई भक्त बीमार रहते हैं यहां की भभूत चाटते ही उसके सारे रोग दूर हो जाते हैं। इतना ही नहीं मंदिर की मिट्टी चाटते ही जहरीले जीवों का जहर भी बेअसर हो जाता है।
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मंदिर घने जंगलों के बीच स्थित है। यहां देवी मां की मूर्ति के अलावा कुंवर महाराज की प्रतिमा भी स्थापित है। लोगों के अनुसार कुंवर महाराज देवी मां के परम भक्त थे इसलिए उनकी भी साथ में पूजा की जाती है। देवी मां के मंदिर में जो भभूत निकलता है यह भी बहुत सिद्ध माना जाता है। मान्यता है कि इस भभूत को पानी में मिलाकर रोगी को पिलाने से उसके सारे रोग दूर हो जाते हैं।
इंसानों के अलावा इस मंदिर में पशुओं का भी इलाज होता है। स्थानीय लोग भाई दूज के दिन पशु को बांधने वाली रस्सी देवी मां के पास रखते हैं। इसके बाद उस रस्सी से दोबारा पशु को बांधते हैं तो वे जल्द ही ठीक हो जाते हैं। मंदिर का निर्माण मुगलकाल के दौरान हुआ था। उस वक्त युद्ध के दौरान शिवाजी विंध्याचल के जंगलों में भूखे-प्यासे भटक रहे थे। तभी कोई कन्या उन्हें भोजन देकर गई थी।
स्थानीय लोगों के अनुसार शिवाजी ने अपने गुरु स्वामी रामदास से उस कन्या के बारे में पूछा तो उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से देखकर बताया कि वह जगत जननी मां दुर्गा हैं। शिवाजी ने मां की महिमा से प्रभावित होकर यहां देवी मां का मंदिर बनवाया था।
(‘जल चर्चा’ से साभार)