Edited By Jyoti,Updated: 21 Aug, 2022 12:36 PM
उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर स्थित रत्नेश्वर जैसा मंदिर दुनिया भर में कोई दूसरा नहीं। यह खासियत इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती है कि यह तिरछा खड़ा है, जिसे देख कर इटली की प्रसिद्ध
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उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर स्थित रत्नेश्वर जैसा मंदिर दुनिया भर में कोई दूसरा नहीं। यह खासियत इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती है कि यह तिरछा खड़ा है, जिसे देख कर इटली की प्रसिद्ध पीसा की झुकी मीनार की याद आ जाती है, लेकिन यह मंदिर पीसा की मीनार से भी ज्यादा झुका और लंबा है।
पीसा की मीनार लगभग 4 डिग्री तक झुकी है, लेकिन यह मंदिर लगभग 9 डिग्री झुका है। कहते हैं कि मंदिर की ऊंचाई 74 मीटर है, जो पीसा की मीनार से 20 मीटर ज्यादा है।
महादेव यानी भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर को ‘मातृ-ऋण महादेव’, ‘वाराणसी का झुका मंदिर’ या ‘काशी करवात’ जैसे नामों से भी जाना जाता है।
मंदिर मणिकर्णिका घाट और सिंधिया घाट के बीच में स्थित है और साल के ज्यादातर समय इसका गर्भगृह गंगा नदी के पानी में डूबा रहता है। कई बार तो पानी का स्तर मंदिर के शिखर तक भी बढ़ जाता है। कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण 19वीं शताब्दी के मध्य में हुआ था।
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इसके झुके होने से जुड़ी एक किंवदंती के अनुसार, यह मंदिर राजा मानसिंह के एक सेवक ने अपनी मां रत्ना बाई के लिए बनवाया था। मंदिर बनने के बाद उस व्यक्ति ने गर्व से घोषणा की कि उसने अपनी मां का कर्ज चुका दिया है। जैसे ही ये शब्द उनकी जुबान से निकले, मंदिर पीछे की तरफ झुकने लगा, यह दिखाने के लिए कि किसी भी मां का कर्ज कभी नहीं चुकाया जा सकता।
हालांकि, यह भी कहा जाता है कि एक बार घाट ढह गया था और झुक भी गया, बस तब से ही यह मंदिर भी तिरछा हो गया।
मंदिर का निर्माण शास्त्रीय शैली में नगर शिखर और मंडप के साथ किया गया है। बहुत ही दुर्लभ संयोजन के साथ मंदिर को पवित्र गंगा नदी के निचले स्तर पर बनाया गया है। ऐसा लगता है कि जैसे बनाने वाले को पता था कि इस मंदिर का ज्यादातर हिस्सा पानी के भीतर रहेगा, इसका निर्माण बहुत कम जगह पर किया गया है। मंदिर पानी के भीतर है, लेकिन इसे आज भी संरक्षित और मूल्यवान माना जाता है।