भारतीय ग्रंथों में है पेड़-पौधों की पूजा विधान, जानें हैरान कर देने वाले कारण

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 04 Mar, 2024 09:07 AM

religion and environment

पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है परि+आवरण। परि अर्थात चारों ओर तथा आवरण यानी हमें चारों ओर से घेरने वाला वातावरण। विश्व के आधुनिकीरण के साथ ही पर्यावरण संकट एक नई समस्या के

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Religion and Environment: पर्यावरण शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है परि+आवरण। परि अर्थात चारों ओर तथा आवरण यानी हमें चारों ओर से घेरने वाला वातावरण। विश्व के आधुनिकीरण के साथ ही पर्यावरण संकट एक नई समस्या के रूप में उभर कर सामने आया है। हिंदू धर्म में प्रकृति को देवी के रूप में प्रतिष्ठापित किया गया है। वेदांत दर्शन में कहा गया है कि आप शांति, वायु शांति, अग्रि शांति, पृथ्वी शांति, सर्वत्र शांति अर्थात प्रकृति के सभी उपादानों की उपासना सर्वत्र शांति के लिए की गई है। यदि प्रकृति का अत्यधिक दोहन या शोषण होता है तो पर्यावरण प्रदूषित होता है। ऐसा होने से मनुष्य मात्र का सारा अस्तित्व ही संकट में पड़ सकता है।

PunjabKesari Religion and Environment

भारतीय शास्त्रों प्रमुखत: वेदों, उपनिषदों, ग्रंथों, पुराणों आदि में सदैव अग्रि, सूर्य, जल, वायु, इंद्र आदि की पूजा का प्रावधान रखा गया था। इसके अतिरिक्त पीपल, बड़, तुलसी आदि पेड़-पौधों को देव तुल्य समझकर उनकी आराधना व पूजा करने का प्रावधान रखा गया था।

PunjabKesari Religion and Environment

वैदिक साहित्य में पेड़ों का बड़ा महात्म्य 
भारत में प्राचीन काल से पेड़-पौधों की उपयोगिता का व्यापक वर्णन मिलता है। वैदिक साहित्य में पेड़ों का बड़ा महात्म्य बतलाया गया है। भारत के अतिरिक्त विश्व में शायद ही ऐसा कोई देश हो जहां साहित्य व संस्कृति में पेड़-पौधों का इतना अधिक विस्तृत वर्णन हो। 

यूनानी कवि ‘होमर’ के महाकाव्य ‘इलियड’ में 9 पेड़-पौधों के नाम गिनाए गए हैं तो उनके दूसरे महाकाव्य ‘ओडिसी’ में करीब 20 पौधों का उल्लेख है। दूसरी ओर भारत में वृक्षों को त्योहारों एवं सामाजिक रीति-रिवाजों से भी जोड़ा गया है। 

गीता में श्री कृष्ण कहते हैं , ‘‘देखो! ये वृक्ष भाग्यशाली हैं जो परोपकार के लिए जीते हैं। ये महान हैं जो धूप-ताप, आंधी और वर्षा को सहन करके हमारी रक्षा करते हैं।’’

स्कंद पुराण के अनुसार, ‘‘वट के मूल में ब्रह्मा, मध्य में जर्नादन (विष्णु), अग्रभाग में शिव और समग्र में सावित्री हैं। हे वट, अमृत के समान जल से मैं तुमको सींचती हूं जिस प्रकार शाखा-प्रशाखा निरंतर वृद्धि कर रही है उसी प्रकार अखंड सौभाग्य, पुत्रपौत्र समेत मुझे सम्पन्नता प्रदान करो।’’

PunjabKesari Religion and Environment

पंचतंत्र में कहा गया है, ‘‘वृक्ष काट कर, पशुओं को मार कर तथा खून को कीचड़ करके ही यदि स्वर्ग प्राप्त होता तो नरक किसे प्राप्त होगा ?’’

महाभारत में वेदव्यास ने कहा है, ‘‘तात! मेरे विचार से प्राणियों की हिंसा न करना ही सबसे श्रेष्ठ धर्म है। किसी की प्राण रक्षा के लिए झूठ बोलना पड़े तो बोल दें किंतु उसकी हिंसा किसी तरह न होने दें।’’

अथर्ववेद में खेजड़ी एवं पीपल का महत्व इस प्रकार बताया गया है कि इनकी आराधना से बांझ स्त्री भी गर्भवती होकर पुत्र रत्न को प्राप्त करती है।

यजुर्वेद में कहा गया है, ‘‘ब्रह्मांड में शांति व्याप्त हो, अंतरिक्ष, पृथ्वी, जल ओषधि, वनस्पति, विश्वदेव ब्रह्मा सर्व सपनों में शांति हो, शांति में प्राप्ति हों।     

PunjabKesari Religion and Environment

Related Story

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!