Edited By Niyati Bhandari,Updated: 16 Jun, 2023 08:48 AM
एक बार भगवान बुद्ध घूमते हुए एक नदी के किनारे पहुंचे। उन्होंने देखा कि एक मछुआरा जाल बिछाकर मछलियां पकड़ रहा है
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Gautama Buddha story: एक बार भगवान बुद्ध घूमते हुए एक नदी के किनारे पहुंचे। उन्होंने देखा कि एक मछुआरा जाल बिछाकर मछलियां पकड़ रहा है। मछुआरा जाल बिछाता और उसमें मछलियां फंसने पर उन्हें किनारे रख दोबारा जाल डाल देता। मछलियां पानी के बिना तड़पती हुई मर जातीं। यह देखकर महात्मा बुद्ध दुखी हो गए और उन्होंने मछुआरे से कहा, ‘‘तुम इन निर्दोष मछलियों को क्यों पकड़ रहे हो?
मछुआरे ने बुद्ध की ओर देखकर उत्तर दिया, ‘‘मैं इन्हें पकड़कर बाजार में बेचूंगा और धन कमाऊंगा।
बुद्ध बोले, ‘‘तुम मुझसे इनके मूल्य ले लो और इन मछलियों को छोड़ दो।’’
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मछुआरा यह सुनकर खुश हो गया, क्योंकि उसे बाजार भी नहीं जाना पड़ेगा। बुद्ध ने मूल्य चुकाकर मछुआरे से मछलियां ले लीं और तड़पती हुई उन मछलियों को वापस नदी में डाल दिया।
यह देखकर मछुआरा दंग रह गया और बोला, ‘‘महाराज, आपने तो मुझसे मछलियां खरीदी थीं, फिर आपने इन्हें वापस पानी में क्यों डाल दिया?
बुद्ध ने कहा, ‘‘इन्हें मैंने तुमसे इसलिए खरीदा ताकि इन मछलियों को दोबारा जीवन दे सकूं। किसी की हत्या करना पाप है। यदि मैं तुम्हारा ही गला घोंटने लगूं तो तुम्हें कैसा लगेगा?
मछुआरा हैरानी से बुद्ध की ओर देखने लगा।
बुद्ध बोले, ‘‘जिस तरह मानव को हवा और पानी मिलना बंद हो जाए तो वह तड़प-तड़प कर मर जाएगा, उसी तरह मछलियां भी पानी से बाहर आकर तड़प-तड़प कर मर जाती हैं।
बुद्ध की बातें सुनकर मछुआरा लज्जित हो गया और बोला, ‘‘महाराज आज आपने मेरी आंखें खोल दीं। अब तक मुझे यह काम उचित लगता था, पर अब लगता है कि इससे भी अच्छे काम करके मैं अपनी आजीविका चला सकता हूं। मैं चित्र भी बनाता हूं। आज से मैं चित्रकला से ही अपनी आजीविका कमाऊंगा। इसके बाद वह वहां से चला गया और कुछ ही समय में प्रसिद्ध चित्रकार बन गया।