Kans Vadh katha 2024: भगवान श्री कृष्ण और बलराम के रणभूमि में आने पर चाणूर एवं मुष्टिक ने उन्हें मल्लयुद्ध के लिए ललकारा। श्री कृष्ण चाणूर से और बलराम जी मुष्टिक से जा भिड़े। भगवान श्री कृष्ण के अंगों की रगड़ से चाणूर की रग-रग ढीली पड़ गई। उन्होंने चाणूर की दोनों भुजाएं पकड़ लीं और बड़े वेग से कई बार घुमा कर धरती पर दे मारा। चाणूर के प्राण निकल गए और वह कटे वृक्ष की भांति गिर कर शांत हो गया। बलराम जी ने मुष्टिक को एक घूंसा जमाया और वह खून उगलता हुआ पृथ्वी पर गिर कर मर गया। देखते ही देखते कंस के पांचों प्रमुख पहलवान श्री कृष्ण और बलराम द्वारा मारे गए।
Krishna kans vadh: भगवान श्री कृष्ण और बलराम की इस अद्भुत लीला को देखकर दर्शकों को बड़ा आनंद हुआ। चारों ओर उनकी जय-जय कार और प्रशंसा होने लगी, परंतु कंस को इससे बहुत दुख हुआ। वह और भी चिढ़ गया। जब उसके प्रधान पहलवान मारे गए और बचे हुए भाग गए, तब उसने बाजे बंद करवा दिए। कंस ने अपने सेवकों को आज्ञा दी कि वसुदेव के लड़कों को बाहर निकाल दो, गोपों का सारा धन छीन लो और नंद को बंदी बना लो तथा वासुदेव-देवकी को मार डालो। उग्रसेन मेरे पिता होने पर भी शत्रुओं से मिले हुए हैं। इसलिए उन्हें भी जीवित मत छोड़ो।
Kansa vadh legend: कंस इस प्रकार बढ़-चढ़ कर बकवास कर ही रहा था कि भगवान श्री कृष्ण फुर्ती से उछलकर उसके मंच पर पहुंच गए। जब कंस ने देखा कि उसके मृत्यु रूप भगवान श्री कृष्ण उसके सामने आ गए हैं, तब वह भी तलवार लेकर उठ खड़ा हुआ और श्री कृष्ण पर चोट करने के लिए पैंतरा बदलने लगा। जिस प्रकार गरुड़ सांप को पकड़ लेता है वैसे ही श्री कृष्ण ने कंस को पकड़ लिया। कंस का मुकुट गिर गया। भगवान ने केश पकड़ कर उसे मंच से धरती पर पटक दिया। फिर श्री कृष्ण स्वयं उसके ऊपर कूद पड़े। उनके कूदते ही कंस की मृत्यु हो गई।
Kansa death: कंस निरंतर शत्रु भाव से श्री कृष्ण का ही चिंतन करता रहता था। वह खाते-पीते, उठते-बैठते अपने सामने भगवान श्री कृष्ण को ही देखता रहता था। इसके प्रभाव से उसे सारूप्य मुक्ति की प्राप्ति हुई। सबके देखते ही देखते उसके शरीर से एक दिव्य तेज निकल कर श्री कृष्ण में समा गया।
How did Krishna kill Kansa: कंस के मरते ही कङ्क इत्यादि उसके आठ छोटे भाई श्री कृष्ण और बलराम जी का वध करने के लिए दौड़े परंतु बलराम जी ने क्षण भर में ही उन सब का काम तमाम कर डाला। उस समय आकाश में दुंदुभियां बजने लगीं। ब्रह्मा, शंकर तथा इंद्र आदि देवता बड़े आनंद से भगवान श्री कृष्ण पर पुष्पों की वर्षा करते हुए उनकी स्तुति करने लगे।
Kans Vadh: कंस और उसके भाइयों की स्त्रियां अपने पतियों की मृत्यु पर विलाप करती हुई वहां आईं। भगवान श्री कृष्ण सारे संसार के जीवनदाता हैं। उन्होंने कंस की रानियों को समझा कर ढांढस बंधाया। तदनंतर भगवान श्री कृष्ण ने मरने वालों की लोक रीति के अनुसार क्रिया कर्म की व्यवस्था करवा दी।