Edited By Jyoti,Updated: 21 Dec, 2020 06:15 PM
आप सभी रामायण के बारें में तो जानते ही होंगे लेकिन क्या कभी रामायण देखते या पढ़ते समय आपके मन में ये ख्यांल आया है? देवी सीता तो स्वपयं ही जगत जननी का अवतार थीं। रावण का अंत तो वो ही कर सकती थीं। फिर उन्हों ने ऐसा क्यों नहीं किया और क्याल वजह थी कि...
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आप सभी रामायण के बारें में तो जानते ही होंगे लेकिन क्या कभी रामायण देखते या पढ़ते समय आपके मन में ये ख्यांल आया है? देवी सीता तो स्वपयं ही जगत जननी का अवतार थीं। रावण का अंत तो वो ही कर सकती थीं। फिर उन्हों ने ऐसा क्यों नहीं किया और क्याल वजह थी कि जब भी रावण उनसे संवाद करने आता था तो वह उसकी ओर नहीं देखती थीं?
अगर नहीं तो आज हम इस वीडियो में आपको बताएंगे कि क्यों देवी सीता रावण को नहीं देखती थीं , और क्या था वो वचन, जिसके कारण वह सहती रहीं सारे अत्याचार ? दरअसल इसके पीछे का कारण सीताजी का वचनबद्ध होना था। यही वजह थी कि वो चुपचाप अशोक वाटिका में सारे दु:ख सहन करती रहीं। रावण जब भी अशोक वाटिका में जाता तो माता सीता श्रीराम के चिंतन में ही लगी रहतीं थी। वो कभी भी रावण की ओर नहीं देखती थी। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एक बार जब रावण हमेशा की तरह देवी सीता को धमकाने के लिए पहुंचा तो उन्होंअने एक तिनके का ओट किया।
तब रावण ने अत्यंत क्रोध में सीता को कहा कि तुम इस तिनके को क्या देख रही हो। मैं तुमसे सीधा संवाद करता हूं लेकिन तुम हमेशा एक तिनका उठाकर उसे ही घूर-घूरकर देखने लगती हो। तब सीता माता के आंखों से आंसू बहने लगते हैं।
रामायण के अनुसार जब रावण किसी भी तरह से देवी सीता को धमकाने में सफल नहीं हुआ तो वो श्रीराम के रूप में देवी सीता के सामने पहुंचा लेकिन तब भी माता ने उसकी ओर नहीं देखा।
कथा मिलती है कि जब सीता जी ससुराल पहुंची तो उन्हों ने पहली रसोई में खीर बनाई। इसके बाद सभी को खीर परोसनी शुरू की। तभी महाराज दशरथ को परोसी गई खीर में एक तिनका गिर गया। देवी सीता ने सोचा कि आखिर खीर से वो कैसे निकालें। तब उन्होंने तिनके की ओर घूर कर देखा तो वह जलकर राख हो गया और एक बिंदू के समान हो गया।
खीर में तिनके का हाल किसी ने नहीं देखा लेकिन राजा दशरथ ने सबकुछ देख लिया था। उसी पल वो देवी सीता के प्रताप से वाकिफ हो गए थे। जब सभी अपने-अपने कक्ष में चले गए तब उन्हों ने देवी सीता को बुलाया। दशरथजी ने कहा कि उन्हों ने सीता का प्रभाव जान लिया है। वो जान चुके हैं कि वो जगत जननी का अवतार हैं। लेकिन फिर भी आप मेरी एक बात का ध्याकन रखिएगा कि जिस तरह से आपने तिनके को देखा था। उस तरह कभी भी किसी शत्रु की ओर घूरकर मतक देखिएगा। राजा दशरथ की उस बात के चलते ही सीता जी ने कभी भी रावण की ओर नहीं देखा। अन्यचथा जिस क्षण वो रावण की तरफ देख लेतीं वो उसी पल भस्मा हो जाता। इसलिए जब भी रावण आता था तो देवी सीता महराज दशरथ की बात याद करके तिनके का ओट ले लेती थीं।