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आखिर क्यों हुई देवी पार्वती भोलेनाथ से नाराज़ ?

Edited By Lata,Updated: 22 Mar, 2019 01:04 PM

religious story of mata parvati

शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, लेकिन शायद लोगों को पता नहीं होगा इसी दिन देवी के बाकी स्वरूपों की भी पूजा की जाती है। नवदुर्गा के इन्हीं रूपों में से एक हैं मां काली का रूप।

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शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, लेकिन शायद लोगों को पता नहीं होगा इसी दिन देवी के बाकी स्वरूपों की भी पूजा की जाती है। नवदुर्गा के इन्हीं रूपों में से एक हैं मां काली का रूप। हिंदू मान्यताओं के अनुसार माता कालिका ने दुष्टों का संहार के लिए ये विकराल रुप धारण किया था। मां काली का स्वरुप जितना रौद्र है उतना ही उनके भक्तों के लिए मनमोहक भी। उनका यह रूप बुराई से अच्छाई को जीत दिलवाने वाला है। मां का ये स्वरूप इतना विकराल था कि उन्हें शांत करवाने के लिए भोलेनाथ को उनके चरणों में आना पड़ा था और जब माता को इस बात का एहसास हुआ कि उन्होंने अपने पति को अपने पैरों नीचे ले लिया तो उन्हें अपने आप पर बहुत क्रोध आया कि उनसे ये पाप कैसे हो गया। आज हम आपको माता पार्वती और भगवान शंकर से जुड़ी एक ऐसी कथा के बारे में बताएंगे जिसमें माता पार्वती भगवान शिव से रूठ जाती हैं। क्योंकि भोलेनाथ ने उन्हें काली कहकर पुकार लिया था। तो आइए जानते हैं इसके पीछे की कथा के बारे में- 
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एक बार भगवान शंकर ने माता पार्वती को मजाक में काली कह दिया, जिस पर वे रुष्ट हो गईं कि शिव ने उनके रंग का मजाक बनाया है और नाराज हो कर वे वन में गहन तप करने चली गईं। उसी समय उस जगह पर एक भूखा शेर भी था जिसे भोजन की तलाश थी। भूख से व्यासकुल शेर ने जब तपस्यार करते माता पार्वती को देखा तो सोचा कि वो उन्हीं  का शिकार करके अपनी भूख शांत करेगा और वह पार्वती जी का तप पूर्ण होने का इंतजार करने लगा ताकि उनका आखेट कर सके। लेकिन ये तपस्या कई वर्ष तक चली और शेर भी एक तरह से तपस्याआ रत होकर वहीं बैठा रहा।
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माता पार्वती की तपस्या से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्नत हुए और वहां प्रकट होकर उन्हें  गौर वर्ण का आशीर्वाद भी दिया। वरदान मिलने के बाद माता ने जल में स्नाेन किया और गौर वर्ण पाकर वे वहां से जाने लगी तो उन्होंने शेर को देखा और उसकी प्रतीक्षा का भी उन्हें ज्ञान हुआ। पार्वती जी ने इस प्रतीक्षा को एक कठिन प्रतीक्षा का दर्जा दिया और शेर पर अत्यं‍त प्रसन्न हुईं और ऐसा माना गया कि तभी से मां पार्वती ने उसे अपना वाहन बनने का आर्शीवाद दिया और वह उनका प्रिय वाहन भी बना।
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