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Republic Day: क्यों मनाया जाता है गणतंत्र दिवस, जानें इसे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें

Edited By Sarita Thapa,Updated: 26 Jan, 2025 08:06 AM

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Republic Day: 26 जनवरी को हम भारतवासी गर्व से गणतंत्र दिवस मनाते हैं। हर वर्ष इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक कर्तव्य पथ से होकर भव्य परेड निकाली जाती है, जिसकी सलामी देश के राष्ट्रपति लेते हैं।

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Republic Day: 26 जनवरी को हम भारतवासी गर्व से गणतंत्र दिवस मनाते हैं। हर वर्ष इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक कर्तव्य पथ से होकर भव्य परेड निकाली जाती है, जिसकी सलामी देश के राष्ट्रपति लेते हैं। परेड में भारतीय सेना, वायुसेना, नौसेना आदि की विभिन्न रैजिमैंट्स हिस्सा लेती हैं और विभिन्न राज्यों की रंग-बिरंगी झांकियां भी इसका विशेष आकर्षण बनती हैं। 

इस दिन हम भारतवासी तिरंगा फहराने, राष्ट्रगान के साथ-साथ देशभक्ति के कई कार्यक्रमों का या तो आयोजन करते हैं अथवा उसका हिस्सा बनते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर गणतंत्र दिवस को 26 जनवरी के दिन ही क्यों मनाया जाता है?  यह तथ्य भी दिलचस्प है कि 1947 में आजादी से पहले 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में भी मनाया जाता था। 

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अंग्रेजों से देश को 15 अगस्त, 1947 को आजादी मिली लेकिन देश का संविधान इसके तीन वर्ष बाद 26 जनवरी, 1950 को लागू किया गया था, जिसके कई कारण थे। देश स्वतंत्र होने के बाद 26 नवम्बर, 1949 को संविधान सभा ने संविधान अपनाया था, जबकि 26 जनवरी, 1950 को संविधान को लोकतांत्रिक प्रणाली के साथ लागू किया गया। इस दिन भारत को पूर्ण गणतंत्र घोषित किया गया।

26 जनवरी को संविधान लागू करने का एक प्रमुख कारण है कि सन् 1930 में इसी दिन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने देश की पूरी तरह से आजादी की घोषणा की थी। सन् 1929 को पंडित जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में इंडियन नैशनल कांग्रेस के जरिए एक सभा का आयोजन किया गया, जिसमें आम सहमति से इस बात की घोषणा की गई कि अंग्रेज सरकार भारत को 26 जनवरी, 1930 तक ‘डोमिनियन स्टेटस’ दे। इसी दिन पहली बार भारत का स्वतंत्रता दिवस मनाया गया था। 1947 में आजादी मिलने तक 26 जनवरी को ही स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता था। 26 जनवरी, 1930 को पूर्ण स्वराज घोषित करने की तारीख को महत्व देने के लिए 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू किया गया और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस घोषित किया गया।

गणतंत्र बनने का समय 
भारत 26 जनवरी, 1950 को सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर एक गणतंत्र राष्ट्र बना। उसके ठीक 6 मिनट बाद 10 बजकर 24 मिनट पर डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। इस दिन पहली बार वह राष्ट्रपति के रूप में बग्गी पर बैठकर राष्ट्रपति भवन से बाहर निकले थे, जहां उन्होंने पहली बार सेना की परेड की सलामी ली और पहली बार उन्हें ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया था। 

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यूं मनाया जाता है गणतंत्र दिवस 
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 25 जनवरी की शाम को राष्ट्रपति देश को संबोधित करते हैं। 26 जनवरी को मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इस दौरान कर्तव्य पथ पर परेड निकाली जाती है जिसे पहले राजपथ के नाम से जाना जाता था। 27 जनवरी को प्रधानमंत्री परेड में शामिल हुए एन.सी.सी. कैडेट्स के साथ दिल्ली में लगे उनके शिविर में मुलाकात करते हैं और उनकी परेड की सलामी लेते हैं। फिर 29 जनवरी को राष्ट्रपति भवन वाले रायसीना हिल्स पर ‘बीटिंग द रिट्रीट’ नामक कार्यक्रम के साथ गणतंत्र दिवस का कार्यक्रम समाप्त होता है। 

कुछ खास बातें    
भारत के संविधान का मसौदा भारत रत्न डॉ. बाबा साहेब भीमराव आम्बेडकर ने तैयार किया था जिन्हें भारतीय संविधान के वास्तुकार के रूप में जाना जाता है। कई सुधारों और बदलावों के बाद कमेटी के 308 सदस्यों ने 24 जनवरी, 1950 को हाथ से लिखे कानून की दो कॉपियों पर हस्ताक्षर किए जिसके दो दिनों बाद 26 जनवरी को यह देश में लागू कर दिया गया। संविधान के लागू होने के बाद पहले से चले आ रहे अंग्रेजों के कानून गवर्नमैंट ऑफ इंडिया एक्ट (1935) को भारतीय संविधान के जरिए भारतीय शासन दस्तावेज के रूप में बदल दिया गया।

पहला गणतंत्र दिवस दिल्ली में 26 जनवरी, 1950 को मनाया गया था और गणतंत्र दिवस की पहली परेड भी आयोजित की गई थी लेकित तब इसे कत्र्तव्य पथ पर नहीं बल्कि कहीं और मनाया गया था। दरअसल, तब पुराना किला के पास ब्रिटिश स्टेडियम हुआ करता था। यहीं पर पहली परेड लोगों को देखने को मिली थी। आज यह जगह काफी बदल चुकी है। देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा दिल्ली के पुराने किले पर ध्वजारोहण किया गया था। 

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