Edited By Niyati Bhandari,Updated: 03 Sep, 2024 06:51 AM
सनातन धर्म में ऋषि पंचमी के व्रत का विशेष महत्व है। माना जाता है कि ऋषि पंचमी का व्रत करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिल जाती है। गणेश चतुर्थी से अगले दिन और हरतालिका तीज से
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Rishi Panchami 2024: सनातन धर्म में ऋषि पंचमी के व्रत का विशेष महत्व है। माना जाता है कि ऋषि पंचमी का व्रत करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिल जाती है। गणेश चतुर्थी से अगले दिन और हरतालिका तीज से दूसरे दिन ऋषि पंचमी का व्रत रखा जाता है। ऋषि पंचमी का व्रत किसी देवी-देवता को नहीं बल्कि सप्त ऋषियों को समर्पित है। ऋषि पंचमी का व्रत खासतौर पर महिलाओं द्वारा रखा जाता है। कई जगहों में ऋषि पंचमी को भाई पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत में सप्त ऋषियों की पूजा की जाती है। आइए जानते हैं पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व।
Mantra of Rishi Panchami ऋषि पंचमी का मंत्र
कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोय गौतम:।
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषय: स्मृता:।।
गृह्नन्त्वर्ध्यं मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा।।
Rishi panchami puja method ऋषि पंचमी पूजा विधि
ऋषि पंचमी के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद सप्त ऋषियों के साथ देवी अरुधंती की स्थापना करें।
अगर हो सके तो इस दिन हल्के पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
पूजा करने से पहले पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव कर लें।
गंगाजल छिड़कने के बाद अगरबत्ती या धूप बत्ती करें।
उसके बाद सप्त ऋषियों की तस्वीर के समक्ष जल से भरा हुआ कलश रख दें।
सप्त ऋषियों की पूजा करने के बाद उन्हें पीले रंग के फल- फूल और मिठाई अर्पित करें।
सारी विधि करने के बाद अंत में सप्त ऋषियों से अपनी सभी भूलों के लिए माफी मांग लें।
ऋषि पंचमी की कथा सुनना न भूलें। अंत में आरती खत्म होने के बाद प्रसाद बांट दें।
पूजा हो जाने के बाद, घर के बड़ों के चरण स्पर्श करें।