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Rituals and customs of Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि के दौरान निभाई जाती हैं ये परंपराएं

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 13 Mar, 2025 12:47 PM

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Rituals and customs of Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह एक आत्मिक उन्नति, शुद्धता और शक्ति का प्रतीक है। यह समय होता है जब लोग अपने जीवन को नई दिशा देने के लिए देवी मां से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और एक नई...

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Rituals and customs of Chaitra Navratri: चैत्र नवरात्रि सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह एक आत्मिक उन्नति, शुद्धता और शक्ति का प्रतीक है। यह समय होता है जब लोग अपने जीवन को नई दिशा देने के लिए देवी मां से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और एक नई शुरुआत की ओर बढ़ते हैं। नवरात्रि के नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा करने का बहुत महत्व है। इस दिन का मां के भक्तों को बहुत ही बेसब्री से इंतजार रहता है। चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है और उसी दिन से शक्ति उपासना का त्योहार चैत्र नवरात्रि भी शुरू हो जाता है। चैत्र नवरात्रि के दौरान निभाई जाती हैं विशेष परंपराएं:

PunjabKesari Rituals and customs of Chaitra Navratri

आध्यात्मिक यात्रा:
नवरात्रि के दौरान विशेषतौर पर शक्तिपीठों और माता रानी के मंदिरों में भक्तों का आना-जाना अधिक होता है। कई लोग विशेष रूप से वैष्णो देवी और अन्य प्रसिद्ध देवी मंदिरों की यात्रा करते हैं।

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घटस्थापना की विधि:
चैत्र नवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद घर के मंदिर को साफ करके फूलों से सजा दें। फिर कलश स्थापना के लिए मिट्टी के एक कलश में पान के पत्ते, सुपारी और पानी भर के रख दें। इसके बाद लाल कपड़े के ऊपर चावल के ढेर बना लें और कलश स्थापित कर दें। कलश स्थापित करने के बाद कलश पर कलावा बांधें और उसके ऊपर स्वास्तिक बना लें। फिर एक मिट्टी के बर्तन में जौ मिलाकर थोड़ा पानी छिड़क कर उसे स्थापित कर दें। अंत में मां दुर्गा की प्रतिमा रख दें और उनकी पूजा करें।  
गरबा और डांडिया नृत्य:
नवरात्रि में खासकर गुजरात और महाराष्ट्र में गरबा और डांडिया नृत्य का आयोजन होता है। ये पारंपरिक नृत्य देवी मां की पूजा के रूप में होते हैं और इसमें महिलाएं खास पोशाक पहनकर एक साथ नृत्य करती हैं।

साहित्य और धार्मिक कथाएं:
नवरात्रि के समय कई स्थानों पर रामायण, महाभारत, देवी भागवत और अन्य धार्मिक ग्रंथों की कथाएं सुनाई जाती हैं। इन कथाओं के माध्यम से भक्त देवी के महान कार्यों और गुणों के बारे में सुनते हैं।

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नौ कन्याओं की पूजा:
नवरात्रि के अंतिम दिन कन्या पूजन की परंपरा होती है। इस दिन नौ कन्याओं (जो नौ वर्ष से कम आयु की होती हैं) को पूजा जाता है और उन्हें भोजन, उपहार, वस्त्र आदि दिए जाते हैं। यह माना जाता है कि कन्याओं में देवी का वास होता है और उनकी पूजा से सभी कष्ट दूर होते हैं।

अर्चना और भोग:
इस समय विशेष रूप से देवी को सिद्धि, शक्ति और ऐश्वर्य का भोग अर्पित किया जाता है। साफ-सफाई और पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है ताकि माता रानी का आशीर्वाद प्राप्त हो।

चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन:
चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन राम नवमी के साथ जुड़ा है। सनातन धर्म में रामनवमी के त्यौहार का अपना ही एक विशेष महत्व है क्योंकि भगवान श्री राम ने मानव योनी में आकर एक ऐसा मर्यादा का आयाम स्थापित किया, जिससे कि एक मानव का समाज, घर-गृहस्थी इत्यादि बंधनों में बंधे रहने के साथ-साथ उन आयाम एवं व्यवहार का अनुसरण करना चाहिए ताकि मानव जीवन सफल हो सके। उन्होंने ऐसी मर्यादाएं स्थापित की जिस पर चलकर एक इन्सान सभी प्रकार के रिश्तों को निभाता हुआ और एक गृहस्थ जीवन को जीता हुआ भी एक संत समान सोच एवं व्यवहार में रहकर जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। हम मानव जाती के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी का एक विशेष स्थान है।

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