Rules for Worship: अक्षय पुण्यों की प्राप्ति के लिए Follow करें पूजा के ये नियम

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 21 Nov, 2024 09:28 AM

rules for worship

Puja path ke Niyam: पूजा तो सब करते हैं परन्तु यदि कुछ नियमों को ध्यान में रखा जाए तो उसी पूजा पथ का हम अत्यधिक फल और अक्षय पुण्यों का भंडार प्राप्त कर सकते हैं। वे नियम इस प्रकार हैं :

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Puja path ke Niyam: पूजा तो सब करते हैं परन्तु यदि कुछ नियमों को ध्यान में रखा जाए तो उसी पूजा पथ का हम अत्यधिक फल और अक्षय पुण्यों का भंडार प्राप्त कर सकते हैं। वे नियम इस प्रकार हैं :

सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव एवं विष्णु, ये पंच देव कहलाते हैं, इनकी पूजा सभी कार्यों में गृहस्थ आश्रम में नित्य होनी चाहिए। इससे धन, लक्ष्मी और सुख प्राप्त होता है।

PunjabKesari Puja path ke Niyam

गणेश जी और भैरव जी को तुलसी अर्पण नहीं करनी चाहिए।

दुर्गा जी को दूर्वा अर्पण नहीं करना चाहिए।

सूर्यदेव को शंख के जल से अर्घ्य नहीं देना चाहिए।

तुलसी का पत्ता बिना स्नान किए नहीं तोड़ना चाहिए। जो लोग बिना स्नान किए तोड़ते हैं, उनके तुलसी पत्रों को भगवान स्वीकार नहीं करते हैं। रविवार, एकादशी, द्वादशी, संक्रांति तथा संध्याकाल में तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए।

दूर्वा (एक प्रकार की घास) रविवार को नहीं तोड़नी चाहिए।

केतकी का फूल शंकर जी को नहीं चढ़ाना चाहिए।

PunjabKesari Puja path ke Niyam

कमल का फूल पांच रात्रि तक उसमें जल छिड़क कर, चढ़ा सकते हैं।

बिल्व पत्र दस रात्रि तक जल छिड़क कर, चढ़ा सकते हैं।

तुलसी की पत्ती को ग्यारह रात्रि तक जल छिड़क कर चढ़ा सकते हैं।

हाथों में रख कर फूल नहीं चढ़ाना चाहिए।

तांबे के पात्र में चंदन नहीं रखना चाहिए।

दीपक से दीपक नहीं जलाना चाहिए, जो ऐसा करते हैं वे रोगी होते हैं।

पतला चंदन देवताओं को नहीं चढ़ाना चाहिए।

प्रतिदिन की पूजा में मनोकामना की सफलता के लिए दक्षिणा अवश्य चढ़ानी चाहिए। दक्षिणा में अपने दोष, दुर्गुणों को छोड़ने का संकल्प लें, अवश्य सफलता मिलेगी और मनोकामना पूर्ण होगी।

PunjabKesari Puja path ke Niyam

चर्मपात्र या प्लास्टिक पात्र में गंगाजल नहीं रखना चाहिए।

स्त्रियों को शंख नहीं बजाना चाहिए, यदि वे बजाती हैं तो लक्ष्मी वहां से चली जाती है।

देवी-देवताओं का पूजन दिन में पांच बार करना चाहिए। सुबह 5 से 6 बजे तक ब्रह्म बेला में प्रथम पूजन और आरती होनी चाहिए। प्रात: 9 से 10 बजे तक द्वितीय पूजन और आरती होनी चाहिए, मध्याह्न में तीसरा पूजन और आरती, फिर शयन करा देना चाहिए। शाम को 4 से 5 बजे तक चौथा पूजन और आरती होनी चाहिए। रात्रि में 8 से 9 बजे तक पांचवां पूजन और आरती, फिर शयन करा देना चाहिए।

आरती करने वालों को प्रथम चरणों की चार बार, नाभि की दो बार और मुख की एक या तीन बार और समस्त अंगों की सात बार आरती करनी चाहिए।

पूजा हमेशा पूर्व या उत्तर की ओर मुंह करके करनी चाहिए, हो सके तो सुबह 6 से 8 बजे के बीच में करें।

पूजा जमीन पर ऊनी आसन पर बैठ कर ही करनी चाहिए।

पूजा-अर्चना होने के बाद उसी जगह पर खड़े होकर 3 परिक्रमाएं करें।

पूजा घर में मूर्तियां 1, 3, 5, 7, 9, 11 इंच तक की होनी चाहिए, इससे बड़ी नहीं तथा खड़े हुए गणेश जी, सरस्वती जी, लक्ष्मी जी की मूर्तियां घर में नहीं होनी चाहिएं।

गणेश या देवी की प्रतिमा तीन, शिवलिंग दो, शालिग्राम दो, सूर्य प्रतिमा दो, गोमती चक्र दो की संख्या में कदापि न रखें। उपहार की, कांच की, लकड़ी एवं फाइबर की मूर्तियां मंदिर में न रखें तथा खंडित, जली-कटी फोटो और टूटा कांच हटा दें, यह अमंगलकारक है एवं इनसे विपत्तियों का आगमन होता है।

PunjabKesari Puja path ke Niyam

प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर में कलश स्थापित करना चाहिए। कलश जल से पूर्ण, श्रीफल से युक्त विधिपूर्वक स्थापित करें यदि आपके घर में श्रीफल कलश उग जाता है तो वहां सुख एवं समृद्धि के साथ स्वयं लक्ष्मी जी नारायण के साथ निवास करती हैं। तुलसी का पूजन भी आवश्यक है।

मकड़ी के जाले एवं दीमक से घर को सर्वदा बचावें अन्यथा घर में भयंकर हानि हो सकती है।

घर में झाड़ू कभी खड़ा करके न रखें झाड़ू लांघना, पांव से कुचलना भी दरिद्रता को निमंत्रण देना है, दो झाड़ू भी एक ही स्थान में न रखें, इससे शत्रु बढ़ते हैं।

घर में किसी परिस्थिति में जूठे बर्तन न रखें, क्योंकि शास्त्र कहते हैं कि रात में लक्ष्मी जी घर का निरीक्षण करती हैं। यदि जूठे बर्तन रखने ही हों तो किसी बड़े बर्तन में उन बर्तनों को रख कर उनमें पानी भर दें और ऊपर से ढक दें तो दोष निवारण हो जाएगा।

कपूर का एक छोटा-सा टुकड़ा घर में नित्य अवश्य जलाना चाहिए, जिससे वातावरण अधिकाधिक शुद्ध हो, वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा बढ़े।

घर में नित्य घी का दीपक जलाएं और सुखी रहें।

घर में नित्य स्वच्छता रखने से वास्तुदोष समाप्त होते हैं तथा दुरात्माएं हावी नहीं होतीं।

सेंधा नमक घर में रखने से सुख श्री (लक्ष्मी) की वृद्धि होती है।

रोज पीपल वृक्ष के स्पर्श से शरीर में रोग प्रतिरोधकता में वृद्धि होती है।

PunjabKesari Puja path ke Niyam

साबुत धनिया, हल्दी की पांच गांठें, 11 कमल गट्टे तथा साबुत नमक एक थैली में रखकर तिजोरी में रखने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। श्री (लक्ष्मी) व समृद्धि बढ़ती हैं।

दक्षिणावर्ती शंख जिस घर में होता है, उसमें साक्षात् लक्ष्मी एवं शांति का वास होता है, वहां मंगल ही मंगल होते हैं। पूजा स्थान पर दो शंख नहीं होने चाहिएं।

घर में यदा-कदा केसर के छींटें देते रहने से वहां सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है। पतला घोल बनाकर आम्रपत्र अथवा पान के पत्ते की सहायता से केसर के छींटे लगाने चाहिएं।

एक मोती शंख, पांच गोमती चक्र, तीन हकीक पत्थर, एक ताम्र सिक्का व अल्पमात्रा में नागकेसर एक थैली में भरकर घर में रखें, श्री (लक्ष्मी) की वृद्धि होगी।

आचमन करके जूठे हाथ सिर के पृष्ठ भाग में कदापि न पोंछें।

 

Trending Topics

Afghanistan

134/10

20.0

India

181/8

20.0

India win by 47 runs

RR 6.70
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!