Edited By Niyati Bhandari,Updated: 19 Jan, 2022 08:38 AM
वैसे तो सकट चौथ का व्रत हर महीने पड़ता है लेकिन माघ महीने में पड़ने वाले सकट चौथ का विशेष महत्व होता है
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2022 Sakat Chauth: वैसे तो सकट चौथ का व्रत हर महीने पड़ता है लेकिन माघ महीने में पड़ने वाले सकट चौथ का विशेष महत्व होता है। इसे संकष्टी चतुर्थी या तिलकुट चौथ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन जिन स्त्रियों को संतान प्राप्त नहीं हो रही होती वह संतान प्राप्ति के लिये यह व्रत रखती हैं और जिन माताओं की संतान हैं वह अपनी संतान की लंबी आयु, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए यह व्रत रखती हैं। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से भगवान गणेश सभी कष्टों से मुक्ति दिलाते हैं। वर्ष 2022 में सकट चौथ व्रत 21 जनवरी, 2022 को है।
Sakat Chauth shubh muhurat सकट चौथ शुभ मुहूर्त
21 जनवरी 2022 को प्रातः 08 बजकर 54 मिनट से चतुर्थी तिथि शुरू होगी और 22 जनवरी 2022 को प्रातः 09 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी। इस दिये गये समय में इस व्रत को करना अति शुभ रहता है।
Sakat chauth 2022 vrat vidhi सकट चौथ व्रत की विधि -
व्रत वाले दिन सुबह सिर धोकर नहा लें।
हाथों में मेहंदी लगाएं।
सफेद तिल और गुड़ के तिलकुट बनाएं।
एक पटरे पर जल का लोटा, रोली, चावल, एक कटोरी में तिलकुट और कुछ रुपये रखें।
जल के लोटे पर रोली से सतिया बनायें।
संकट चौथ और गणेश जी की कथा सुनें। इस दौरान थोड़ा सा तिलकुट हाथ में ले लें।
कथा सुनने के बाद एक कटोरी में तिलकुट और रुपये रखकर सासुु मां के पैर छूकर इसे दे दें।
जल का लोटा और हाथ में रखे तिल उठाकर मंदिर में रख दें।
रात को चंद्र दर्शन नहीं करने चाहिए बल्कि चंद्र की छायां पृथ्वी पर पड़ने पर गणेश जी व चंद्रमा का ध्यान करके व्रत खोल लें।
जो भी भगवान गणेश जी की संकट चतुर्थी की कहानी सुनाए उसे कुछ रुपये और तिलकुट देंवे।
व्रत खोलते समय तिलकुट अवश्य खायें।
Sakat Chauth katha सकट चतुर्थी की कथा
एक बुढ़िया थी। वह बहुत ही गरीब और दृष्टिहीन थीं। उसका एक बेटा और बहू थे। वह बुढ़िया सदैव गणेश जी की पूजा किया करती थी। एक दिन गणेश जी प्रकट होकर उस बुढ़िया से वरदान मांगने को कहा,"बुढ़िया ने कहा कि मुझे मांगना नहीं आता, मैं अपने बेटे और बहु से पूछकर बताती हूं कि मुझे क्या चाहिए।"
कुछ समय के बाद बुढ़िया ने भगवान गणेश जी से इस प्रकार से वरदान मांगा, "यदि आप प्रसन्न हैं, तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आंखों की रोशनी दें, नाती दें, पोता, दें और सब परिवार को सुख दें और अंत में मोक्ष भी दें।"
यह सुनकर तब गणेशजी बोले, "माता तुमने तो हमें ठग लिया। फिर भी जो आपने मांगा है वचन के अनुसार सब मिलेगा।"
उधर बुढ़िया मां ने जो कुछ मांगा वह सब कुछ मिल गया।
हमें भी व्रत पर यह मन के भाव रखते हुए प्रार्थना करनी चाहिए कि, " हे गणेश जी ! महाराज जैसे आपने उस बुढ़िया मां को सब कुछ दिया, वैसे ही सबको देना एवं प्रदान की गयी सभी वस्तुओं का सुख भी प्रदान करना।"
Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientists
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)