Edited By Prachi Sharma,Updated: 15 Jan, 2025 10:50 AM
पंचांग के मुताबिक 17 जनवरी को सकट चौथ का व्रत रखा जाएगा। खासतौर पर ये व्रत महिलाओं द्वारा अपनी संतान के लिए रखा रखा जाता है।
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Sakat Chauth 2025: पंचांग के मुताबिक 17 जनवरी को सकट चौथ का व्रत रखा जाएगा। खासतौर पर ये व्रत महिलाओं द्वारा अपनी संतान के लिए रखा रखा जाता है। इस दिन विशेष रूप से बच्चों की सुरक्षा और सुख-शांति की कामना की जाती है। इसे सकट चौथ या तिलकुटा चौथ भी कहा जाता है। सकट चौथ का व्रत विशेष रूप से संतान सुख और परिवार की खुशहाली के लिए किया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जिन्हें विघ्नहर्ता और सुख-समृद्धि का देवता माना जाता है। इसके साथ ही महिलाएं अपने घर-परिवार की सुख-समृद्धि और शांति के लिए प्रार्थना करती हैं। पूजा के दौरान कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है बिना जिनके पूजा अधूरी मानी जाती है। इस आर्टिकल में जानेंगे कि सकट चौथ की पूजा के लिए कौन-कौन सी सामग्री आवश्यक होती है और किस प्रकार से इनका उपयोग पूजा में किया जाता है।
सकट चौथ पूजा के लिए आवश्यक सामग्री
भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र
सकट चौथ की पूजा में भगवान गणेश की पूजा की जाती है, इसलिए पूजा स्थल पर भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र होना चाहिए। गणेश जी की मूर्ति को स्वच्छ और पवित्र स्थान पर रखें और उनकी विधिपूर्वक पूजा करें। गणेश जी के चित्र का भी सही स्थान पर स्थापित करना जरूरी है।
फल और मिठाइयां
पूजा के दौरान भगवान गणेश को विभिन्न प्रकार के फल और मिठाइयां अर्पित की जाती हैं। विशेष रूप से लड्डू और मोदक भगवान गणेश के प्रिय होते हैं। इसके अलावा, केले, नारियल, सेब, आंवला, और आलूबुखारा जैसे ताजे फल भी अर्पित किए जाते हैं। मिठाइयां जैसे गुलाब जामुन, पेटी या काजू कतली भी पूजा के दौरान भगवान को अर्पित की जाती हैं।
व्रत सामग्री
चीनी
तिल
आरती किताब
फूल मालाएं
लौंग
इलायची
गंगाजल
मेहंदी
गणपति की मूर्ति
लाल फूल
21 गांठ दूर्वा
दीप
धूप
11 या 21 तिल के लड्डू
गंगाजल
कलश
रोली
सिंदूर
अक्षत
हल्दी
मौली
इत्र
अबीर
गुलाल
मोदक
कलश और जल
जल को शुद्ध और पवित्र माना जाता है इसलिए पूजा में एक कलश रखना अनिवार्य होता है। कलश में जल भरकर उसमें कुछ सिक्के और फूल डालें। इस कलश को पूजा स्थल पर रखें और भगवान गणेश का आह्वान करें। कलश के जल से पूजा स्थल की शुद्धि भी होती है।
धूप और कपूर
पूजा के दौरान धूप का प्रयोग भी होता है। धूप से वातावरण शुद्ध होता है और पूजा स्थल में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसके अलावा, कपूर का भी उपयोग किया जाता है, जिसे पूजा के अंत में गणेश जी के समक्ष जलाया जाता है।
सिंदूर और चंदन
गणेश जी को सिंदूर और चंदन अर्पित करने से उनकी कृपा बनी रहती है। सिंदूर विशेष रूप से गणेश जी के माथे पर लगाया जाता है जबकि चंदन का लेप भगवान गणेश के शरीर पर लगाया जाता है। इन चीजों का उपयोग पूजा को पूर्ण रूप से फलदायी बनाता है।
स्वास्तिक और पान के पत्ते
पूजा में स्वास्तिक का चिह्न भी बनाना जरूरी होता है जो समृद्धि और शुभता का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा, पान के पत्ते और सुपारी का भी उपयोग किया जाता है। यह पूजा सामग्री के रूप में भगवान गणेश को अर्पित की जाती है।