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Sakat Chauth: जीवन से संकटों का नाश करना है तो सकट चौथ के दिन न खाएं ये सामान

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Jan, 2025 03:09 PM

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Sakat Chauth 2025: सकट चौथ व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे संतान की लंबी आयु, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए रखा जाता है। इसे गणेश चतुर्थी या तिलकुटा चौथ के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया...

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Sakat Chauth 2025: सकट चौथ व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे संतान की लंबी आयु, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए रखा जाता है। इसे गणेश चतुर्थी या तिलकुटा चौथ के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। वैसे तो हिंदू पंचांग के अनुसार महीने में दो बार चतुर्थी तिथि आती है लेकिन माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। पश्चिमी और दक्षिणी भारत में इसे बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। 17 जनवरी को ये शुभ दिन है। ये व्रत महिलाएं अपने घर-परिवार की सलामती के लिए करती हैं ताकि विघ्नहर्ता को प्रसन्न कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।

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संतान की कुशलता के लिए:
इस व्रत को विशेष रूप से माताएं अपनी संतान की सुख-समृद्धि, दीर्घायु और कल्याण के लिए करती हैं।

पूजा की तैयारी:
भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर को साफ स्थान पर स्थापित करें।
पूजा में दूर्वा, तिल, गुड़, मोदक, और दीपक का उपयोग करें।
चंद्रमा की पूजा के लिए अर्घ्य तैयार करें।

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गणेश चतुर्थी कथा:
व्रत के दौरान गणेश जी से जुड़ी कथा सुनना शुभ माना जाता है।

गणेश जी का आशीर्वाद:
सकट चौथ के दिन भगवान गणेश और चंद्रमा की पूजा की जाती है। मान्यता है कि गणेश जी की कृपा से सभी विघ्न और कष्ट दूर हो जाते हैं।

कथाओं से प्रेरणा:
इस व्रत का उल्लेख कई पौराणिक कथाओं में मिलता है, जिनमें गणेश जी ने अपने भक्तों के संकट दूर किए थे।

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सकट चौथ का व्रत विधान:
प्रातः काल स्नान और संकल्प:
व्रत रखने वाली महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं।

निर्जला व्रत:
दिनभर जल और भोजन का त्याग किया जाता है। संध्या काल में पूजा के बाद ही व्रत खोला जाता है।

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क्या खाएं- शक्करकंदी, तिल, गुड़, उड़द और चावल
क्या न खाएं- राहु ग्रह से संबंधित चीजें नहीं खानी चाहिए जैसे मूली, कटहल, काला नमक और प्याज

सकट चौथ के दिन अवश्य करें ये काम- उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुंह करके गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। 
गणेश जी को दुर्वा, मोदक और तिल के लड्डूओं का भोग जरूर लगाना चाहिए।
संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा सुनने के बाद आरती अवश्य करें।

शुभ मुहूर्त- ये व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही पूरा होता है। भोग लगाकर प्रसाद खाना चाहिए, तभी व्रत पूरा होता है। 

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