इस मंदिर के दर्शन के बिना अधूरी है जगन्नाथ पुरी की यात्रा

Edited By ,Updated: 20 Nov, 2016 01:25 PM

sakshi gopal mandir

हिन्दू धर्म में मन्दिरों का बहुत ही महत्वपूर्ण तथा पूजनयोग्य स्थान है। इन मन्दिरों में ओडिशा (उड़ीसा) प्रान्त के प्रसिद्ध शहर पुरी के नजदीक बने साक्षी गोपाल मन्दिर

हिन्दू धर्म में मन्दिरों का बहुत ही महत्वपूर्ण तथा पूजनयोग्य स्थान है। इन मन्दिरों में ओडिशा (उड़ीसा) प्रान्त के प्रसिद्ध शहर पुरी के नजदीक बने साक्षी गोपाल मन्दिर का नाम भी उल्लेखनीय है। यह मन्दिर ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से लगभग 50 किलोमीटर तथा जगन्नाथ पुरी से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस मन्दिर के बारे में यह धारणा प्रचलित है कि जो श्रद्धालु पुरी में जगन्नाथ जी के दर्शन करने के लिए आएगा उस की यह यात्रा तब ही सम्पूर्ण होगी यदि वह इस (साक्षी गोपाल) मन्दिर के भी दर्शन करेगा। दूर-नजदीक से पूरी में पहुंचे श्रद्धालु जगन्नाथ जी के दर्शन करने के बाद इस मन्दिर में भी नतमस्तक होते हैं तथा भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा का प्रगटावा करते हैं। नतमस्तक होने से पहले श्रद्धालु मन्दिर के नजदीक बनाए गए चंदन के सरोवर में स्नान करते हैं।

 

मन्दिर की इमारत बहुत सुन्दर एवं मनोभावन है। इस मन्दिर के साथ जुड़ी कथा भी बहुत रोचिक है। कहा जाता है कि एक धनवान ब्राह्मण आयु के अंतम पड़ाव में तीर्थ यात्रा करने के लिए वृंदावन की ओर चला तो उस के साथ एक गरीब ब्राह्मण लड़का भी चल पड़ा। उस समय तीर्थ यात्राएं पैदल ही हुआ करती थी। खाने-पीने की व्यवस्था भी आप ही करनी पड़ती थी।इस यात्रा के दौरान उस गरीब लड़के ने उस बुर्जुग ब्राह्मण की बहुत अच्छी देखभाल की। इस सेवा से खुश होकर वृंदावन के गोपाल मन्दिर में उस ब्राह्मण ने अपनी कन्या का रिश्ता उस गरीब लड़के से पक्का कर दिया तथा वापिस जा कर इस कार्य को पूरा करने का वचन भी दे दिया। लंबे समय के बाद जब वह दोनों पूरी आए तो उस लड़के ने उस ब्राह्मण को भगवान गोपाल जी के सामने किया वादा याद करवाया। 

 

ब्राह्मण ने जब यह बात अपने घर-परिवार में की तो उसके अपने बेटे इस रिश्ते के लिए सहमत न हुए। सहमति तो एक तरफ बल्कि इस मुद्दे को लेकर ब्राह्मण के परिवार वालों ने उस गरीब लड़के की बहुत बेइज्जती की। इस बेइज्जती तथा वादा खिलाफी से दुखी हो कर वह लड़का पचांयत के पास गया तो पंचों की ओर से इस बात का सबूत मांगा गया। लड़के ने कहा कि विवाह के वादे के समय गोपाल (भगवान) जी भी उपस्थित थे। गरीब लड़के की इस बात से पंचों की ओर से उसकी खिल्ली उड़ाई गई।अपने सच को साबित करने के लिए वह लड़का फिर वृदावन पहुंच गया। यहां पहुंच कर उसने भगवान गोपाल जी से अपनी पूरी दर्द कहानी सुनाई तथा हाथ जोड़कर विनती की कि अब आप ही मेरे साथ जाकर पंचायत को सारी बात समझा सकते हैं। 

 

उस लड़के के दृढ़ विश्वास को देख कर गोपाल जी बहुत प्रसन्न हुए तथा उसके साक्षी (गवाह) बनने के लिए तैयार हो गए। भगवान जी ने कहा कि मैं तुम्हारे पीछे-पीछे आऊंगा तथा मेरे घुंगरूओं की झंकार तुम्हारे कानों में पड़ती रहेगी। तुम मेरे आगे-आगे चलते रहना पीछे नहीं देखना। यदि तुमने पीछे देखा तो मैं वही स्थिर हो जाऊंगा। लड़का मान गया तथा दोनों पूरी की ओर चल पड़े। चलते-चलते जब वह अट्टक के नजदीकी गाँंव पुलअलसा के पास पहुंचे तो रेतला रस्ता आरम्भ हो गया। रेतले रास्ते के कारण घुंगरूओं की आवाज बन्द हो गई तथा वह लड़का पीछे की ओर देखने लगा।देखते ही गोपाल जी स्थिर हो गए। अपने साक्षी (भगवान) की स्थिरता को देखकर वह लड़का परेशान हो गया पर भगवान जी ने उस लड़के को कहा कि तुम परेशान न हो बल्कि जा कर पंचायत को यहां ही ले आअो। वह गरीब लड़का गया ओर पंचायत को वहां ले आया जहां गोपाल जी खड़े थे। पंचायत के आने पर गोपाल जी ने वह सारी बात दोहरा दी जो धनवान ब्राह्मण ने उस गरीब लड़के से उस की उपस्थिति में की थी।भगवान गोपाल जी के साक्षी (गवाह) बनने से उस गरीब लड़के का विवाह उस ब्राह्मण की लड़की के साथ हो गया तथा भगवान जी वहीं समा गए।    
                            

उनकी याद में बना साक्षी गोपाल मन्दिर इस निश्चय को पक्का करता है कि जो भगत अपने भगवान पर भरोसा रखते हैं भगवान भी संकट के समय उनका साथ देते हैं तथा अपना हाथ देकर संकट से उन्हें उभार लेते हैं।                              
रमेश बग्गा चोहला                                                                                                                  
 

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