Edited By Niyati Bhandari,Updated: 30 Jul, 2024 12:48 PM
राजस्थान के सालासर धाम में श्री बालाजी मंदिर से पहले लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर श्री अंजनी माता का मंदिर है। मंदिर की शोभा भव्य एवं वातावरण सात्विक है। सालासर आने
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Anjani Mata Temple: राजस्थान के सालासर धाम में श्री बालाजी मंदिर से पहले लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर श्री अंजनी माता का मंदिर है। मंदिर की शोभा भव्य एवं वातावरण सात्विक है। सालासर आने वाले सभी भक्तजन सबसे पहले श्री अंजनी माता मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं, उसके बाद वे श्री बाला जी मंदिर की तरफ प्रस्थान करते हैं।कुछ विशिष्ट भक्तजन पेट के बल रेंगते हुए मंदिर तक पहुंचते हैं। पैदल चल कर आने वाले यात्री हाथों में लाल ध्वजा लेकर चलते हैं। श्री राम भक्त रुद्र अवतार, सूर्य शिष्य, वायुपुत्र, केसरीनंदन, महाबली, श्री बाला जी के नाम से प्रसिद्ध तथा माता अंजनी के गर्भ से प्रकट हनुमान जी में पांच देवताओं का तेज समाहित है।
मंदिर में श्री बाला जी की भव्य प्रतिमा सोने के सिंहासन पर विराजमान है। इसके ऊपरी भाग में श्री राम दरबार है तथा निचले भाग में श्री राम चरणों में दाढ़ी-मूंछ से सुशोभित हनुमान श्री बाला जी के रूप में विराजमान हैं।
मुख्य प्रतिमा शालिग्राम पत्थर की है जिसे गेरूए रंग और सोने से सजाया गया है। बाला जी का यह रूप अद्भुत, आकर्षक एवं प्रभावशाली है। प्रतिमा के चारों तरफ सोने से सजावट की गई है और सोने का रत्नजड़ित भव्य मुकुट चढ़ाया गया है।
तिमा पर लगभग 5 किलोग्राम सोने से निर्मित स्वर्ण छत्र भी सुशोभित है। प्रतिष्ठा के समय से ही मंदिर के अंदर अखंड दीप प्रज्वलित है। भक्त श्री मोहनदास द्वारा श्री बाला जी महाराज की दिव्य प्रेरणा से आज से लगभग 253 वर्ष पूर्व विक्रम सम्वत् 1811 (सन् 1754 ई.) श्रावण शुक्ल नवमी शनिवार को श्री बाला जी के श्रीविग्रह की प्रतिष्ठा सालासर के परम पावन क्षेत्र में हुई।
मंदिर के ऊपर स्थापित भारतीय संस्कृति की झलक देने वाली लाल ध्वजाएं अनवरत रूप से फहराती रहती हैं। श्री बाला जी महाराज की कृपा से भक्तजनों की मनोकामनाओं की पूर्ति के उपरांत यहां ध्वजा, नारियल तथा छत्र आदि भेंट किए जाते हैं।
कुछ श्रद्धावान भक्त सवामणी, भंडारा आदि अर्पूति करते हैं। सवामणी का प्रचलन यहां सबसे ज्यादा है। श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में होती है। पैदल चल कर भी अनेक श्रद्धालु आते हैं। राजस्थान के अलावा पंजाब, हरियाणा, दिल्ली सहित पूरे भारत वर्ष से वे यहां पहुंचते हैं।